तमिल मेहमान कजरी डांस और लोक गीतों पर झूमे, फोक और शास्त्रीय कलाकारों ने मोहा मन

 






वाराणसी, 23 दिसम्बर (हि.स.)। काशी-तमिल संगमम-2 में शनिवार शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कजरी, लोकनृत्य तमिल मेहमानों को खूब भाया। वाराणसी की स्मृति साही और उनकी टीम ने कइसे खेले जइबू सावन में कजरिया, बदरिया घेरे आई ननदी, सइंया मिले लरकईयां मैं का करूं आदि पर जोरदार डांस कर माहौल बना दिया। जोरदार प्रस्तुति पर युवाओं का टोली भी नाचने गाने लगी। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त बैनर तले नमोघाट पर आयोजित कार्यक्रम में कुल नौ प्रस्तुतियां हुईं।

पहली प्रस्तुति वाद्य लोक आधारित ट्राइबल डांस, कनियाकूथू की रही। तमिलनाडु के तिरुनिवेली से आए एस. थंगराज और टीम वाद्य कला कला पर साथी किन्नर कलाकारों ने साड़ी में बड़ा आश्चर्यजनक नृत्य किया। दूसरी प्रस्तुति आर गीता द्वारा क्लिकुम्मी कुट्टम की रही। खेतों को सूखा से बचाने के लिए बारिश कराने की यह खास म्यूजिकल पद्धति नमो घाट पर जीवंत हो उठी। कोंडवा अड़ी-कोंडवा अड़ी गाते हुए महिलाओं ने डांडिया के साथ नृत्य किया। इस दौरान लाइव गायन भी चल रहा था।

तीसरी प्रस्तुति में काशी के अंशुमान महाराज और बाकी कलाकारों के वाद्य यंत्रों के नाम रही। इस दौरान उन्होंने वाद्य यंत्रों से राग बागेश्वरी का धुन बजाया। चौथी प्रस्तुति वाराणसी के भजन गायक डॉ विजय कपूर और टीम ने जोरदार प्रस्तुति दी। ऊंचा है धरम-दीन, इमान है गंगा',रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे हैं, जो पेड़ हमने लगाया पहले, उसी का फल हम अब पा रहे हैं' गाकर नमो घाट पर महफिल जमा दी। इसके बाद उन्होंने हैरत इलाहाबादी की रचना आगाह अपनी मौत से कोई बसर नहीं... और सज धज कर जिस दिन मौत कर शहजादी आएगी, न साेना काम आएगा न चांदी आएगी...' गाकर दर्शकों और डेलीगेट्स को असल दुनियादारी से परिचित कराया। पांचवीं प्रस्तुति तमिलनाडु के कलाकारों के नाम रही। नृत्यांगना और कोरियाग्राफर गुरु अरुणा सुब्रमण्यम और उनकी शिष्याओं द्वारा भरतनाट्यम की प्रस्तुति भी दमदार रही। उन्होंने पुष्पांजलि, जिसमें भगवान गणेश की प्रार्थना, लिंगाष्टकम, शिवारंजिनी, मोहनानादमओदू आदि कई तरह की भरतनाट्यम नृत्य विधाओं पर अपनी प्रस्तुतियां दीं। छठवीं प्रस्तुति यूपी के कलाकारों के नाम रही। शास्त्रीय नृत्य के बाद कजरी फोक डांस ने तमिल डेलीगेट्स को मुग्ध कर दिया। आठवीं प्रस्तुति कारागट्टम, नयांदी मेलम की रही। कलासुदारमणि और उनकी टीम की यह प्रस्तुति काफी मनमोहक रही। तमिलनाडु के वी. अरिचंद्रन की नौवीं प्रस्तुति कालीकट्टम, करुप्पासामी, अट्टम, कवाडी, पिकॉक डांस की रही। इस प्रस्तुति में कलाकार मोर, नंदी समेत कई तरह के रूप धारण कर मंच पर नृत्य करते रहे।

-अन्नपूर्णा दरबार में माता रानी की नृत्य से आराधना

काशी तमिल संगमम-2 में भाग लेने आए तमिल युवतियों ने मां अन्नपूर्णा के दरबार में नृत्य पेश कर दरबार में हाजिरी लगाई। शनिवार को मंदिर में मध्याह्न भोग आरती के बाद 120 युवाओं ने नृत्य की प्रस्तुति की। महंत शंकरपुरी ने आये सभी प्रतिनिधियों और कलाकारों को प्रसाद अंग वस्त्र भेंट किया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश