शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का करेंगे शुभारम्भ

 


—अयोध्या से यात्रा 22 सितम्बर से शुरू होगी, समापन दिल्ली में, अंडमान निकोबार, लक्ष्यदीप, दमन में शंकराचार्य के प्रतिनिधि यात्रा में शामिल होंगे

वाराणसी, 26 अगस्त (हि.स.)। ज्याेतिषपीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 22 सितम्बर से गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा की शुरुआत रामनगरी अयोध्या से करेंगे। अयोध्या में गो ध्वज स्थापना के उपरांत जन्मभूमि की प्रदक्षिणा भी करेंगे। अखिल भारत हिंदू महासभा के महासचिव और गो संसद के देवेन्द्र पाण्डेय ने ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा अयोध्या से प्रारंभ होकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, बिहार, सिक्किम, असम, अरुणांचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पांडुचेरी, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमांचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, होते हुए दिल्ली में पहुंच कर समाप्त होगी। अंडमान निकोबार, लक्ष्यदीप, दमन, के भ्रमण में शंकराचार्य के प्रतिनिधि जाएंगे।

उन्होंने बताया कि गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा का स्वरूप राम जन्मभूमि आंदोलन, कार सेवा और शिला पूजन जैसा भव्य और विशाल होगा। इस यात्रा का उद्देश्य बिलकुल स्पष्ट है। इसे राजनीति से जोड़कर क़तई नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यात्रा के लिए महंत, संत, संन्यासी, साधूओं का भी समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि गो माता की निरंतर हो रही हत्या का ही परिणाम है कि भारत आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, वैदिक और आत्मबल से कमजोर हो रहा है। भारत सरकार सहित सभी राजनीतिक पार्टियों से पत्राचार कर गो माता के साथ राम, कृष्ण, परशुराम, बुद्ध, महावीर, गुरु गोविन्द सिंह की पवित्र धरा पर गो हत्या बंद करने का आग्रह किया गया। परंतु किसी भी सियासी पार्टी ने धर्म रक्षा करने अर्थात् गो हत्या रोकने की हिम्मत नहीं की।

उन्होंने बताया कि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री के गो आंदोलन को कुचलने के लिए तत्कालीन सरकार ने गोलिया चलवाई थीं। उन सभी अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शंकराचार्य ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक गो माता को उनका वैदिक पुरातन सम्मान नहीं मिलता, जब तक गो हत्या पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं होती, तब तक अनवरत आंदोलनरत रहेंगे । शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गो माता की रक्षा के लिए गो संसद का गठन किया। 2 अगस्त से 6 अगस्त 2024 तक विधिवत सदन का संचालन हुआ और 07 वकीलों की टीम का गठन कर गो माता की हत्या रोकने का क़ानून का निर्माण कर उसे पारित भी किया गया। इसके अलावा भारत की सभी संसदीय सीटों पर एक-एक गो सांसद नियुक्त किए गए, यात्रा के दौरान सभी विधान सभाओं में भी गो विधायकों की नियुक्तियाँ करने का विचार है। उन्होंने बताया कि

दिल्ली तेरापंथ भवन छतरपुर में संपन्न हुई गो संसद के सत्र में उन्हें (देवेन्द्र पाण्डेय) को गो संसद-महासचिव और गो—आयोग का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / दिलीप शुक्ला