सुख-समृद्धि के लिए घरों व मंदिरों में मनाया गया अन्नकूट महोत्सव

 






































मुरादाबाद, 14 नवम्बर (हि.स.)। पांच दिवसीय दीपावली पर्व के चौथे दिन जिले के साथ ही पूरे प्रदेश में विधि-विधान के साथ सुख-समृद्धि के लिए घरों व मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया गया। गोवर्धन भगवान की पूजा की गई। घरों और मंदिरों में प्रसाद चढ़ाकर परिवार की खुशहाली की कामना की गई। इससे चहुंओर भक्तिमय माहौल बना रहा। घर के बुजुर्गों ने बच्चों को दक्षिणा देकर परंपरा निभाई। इस मौके पर घरों में तैयार छप्पन भोग पकवानों का लोगों ने आनंद लिया।

मुरादाबाद में गीता ज्ञान मंदिर कोठीवाल नगर, ऋणमुक्तेश्वर मंदिर बुद्धि विहार, राधा कृष्ण मंदिर दिल्ली रोड, माता मंदिर लाइनपार, शिव शक्ति मंदिर रामगंगा विहार, सत्य श्री शिव व शनि मंदिर आवास विकास, पुलिस लाइन मंदिर, अन्नपूर्णा माता मंदिर साहू मोहल्ला, श्री दुर्गा मंदिर नवीन नगर, ओम शिव हरी मनोकामना मंदिर रामगंगा विहार, मनोकामना श्री हनुमान मंदिर रेलवे कॉलोनी, राम मंदिर कटघर, संकट मोचन मंदिर विजयनगर सहित मुरादाबाद के अनेकों मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया भगवान श्री कृष्ण जी को छप्पन भोग लगाए गए और भंडारे का आयोजन हुआ।

शिव शक्ति मंदिर रामगंगा विहार के पुरोहित पंडित हेमंत भट्ट ने बताया कि दीपावली की अगले दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा होती है। जिसे लोग अन्नकूट पूजा के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। माता लक्ष्मी जिस प्रकार से सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी प्रकार गो माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। उसके बछड़े खेतों में हल चलाते हैं। गाय के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन की पूजा की जाती है। गोवर्धन त्योहार की शुरुआत द्वापर युग में हुई थी।

पंडित देवेंद्र ओझा ने बताया कि मान्यता है कि गोर्वधन पूजा से पहले ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा करते थे। भगवान कृष्ण के कहने पर एक वर्ष ब्रजवासियों ने गाय की पूजा की। गाय के गोबर का पहाड़ बनाकर उसकी परिक्रमा की। जब ब्रजवासियों ने भगवान इंद्र की पूजा करनी बंद कर दी तो वह इस बात से नाराज हो गए। भगवान इंद्र ने ब्रजवासियों का डराने के लिए पूरे ब्रज को बारिश के पानी में जलमग्न कर दिया था। तभी, भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को बारिश से बचाने के लिए लगातार सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी अंगुली पर उठाकर रखा था। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा था। तभी से हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इसी परंपरा को निभाने के लिए मंगलवार को घरों व मंदिरों में गोवर्धन भगवान की पूजा की गई।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल/दिलीप