मैंने लोगों को रंग बदलते देखा, परिवार बदलते पहली बार राहुल गांधी को देखा : स्मृति ईरानी
अमेठी,12 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) की अमेठी लोकसभा से प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि 15 साल अमेठी से सांसद रहे राहुल गांधी लेकिन गरीब के लिए शौचालय तक नहीं बनवा पाए। वह चाहते थे कि अमेठी का गरीब हमेशा गरीब बना रहे जिससे कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के सामने हाथ फैलाए अमेठी का गरीब खड़ा रहे।
यही नहीं आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी छींकते हैं तो विदेश के किसी अस्पताल में चले जाते हैं। लेकिन अमेठी में मेडिकल कॉलेज तक नहीं बनाते हैं। कांग्रेस वाले लोकतंत्र की कसमें खाते हैं लेकिन तमिलनाडु में उनका समर्थन लिया जिन्होंने बाबा साहब अंबेडकर का संविधान जलाया और सनातन धर्म को गाली दिया।
राहुल गांधी ने जब वायनाड में अपना नामांकन किया तो उन्होंने घोषित कर दिया कि वायानाड मेरा परिवार है। राहुल गांधी ने कहा कि वायनाड के लोग ज्यादा वफादार हैं। अमेठी के लोगों ने 15 साल तक उस निकम्में सांसद को ढोया जिसने काम नहीं किया। जीतने के बाद भी गायब रहा। अब अमेठी की वफादारी पर यह तोहमत लगते हैं। मैंने लोगों को रंग बदलते देखा है लेकिन परिवार बदलते पहली बार राहुल गांधी को देखा है।
वायनाड में राहुल गांधी ने पर्चा भरने से पहले मुस्लिम लीग का समर्थन लिया और उनकी मुस्लिम लीग से बातचीत भी हुई कि मुस्लिम लीग अपना झंडा नहीं दिखाएगा क्योंकि राहुल को अमेठी में प्रचार करना है और मंदिर मंदिर जाना है। तो उसने भी कहा कि हम अपना नहीं दिखाएंगे तो तुम अपना भी ना दिखाओ। जिस पर उन्होंने कहा ठीक है। हद हो गई की अपनी राजनीति के लिए अपनी पार्टी का झंडा भी त्याग दिए।
अब राहुल गांधी की हालत यह हो गई है कि आतंकवादी संगठन का समर्थन लेकर अपना चुनाव लड़ना पड़ रहा है। इसी संगठन ने केरल के सभी जिलों में हिंदुओं को मारने की एक लिस्ट बनाई है।आप सब जानते हैं कि जब राहुल गांधी यहां से चुनाव लड़ते हैं तो यहां पर लोग बाहर से प्रचार करने आते हैं। ऐसे में यह लोग उन्हें यहां भी लाएंगे। यह अमेठी के सम्मान और संरक्षण का चुनाव है। दोनों की लड़ाई में अंतर है राहुल गांधी अपने लिए लड़ रहे हैं और हम अपनों के लिए लड़ रहे हैं। जीजा की नजर ना लगे इसलिए राहुल गांधी अमेठी में रुमाल छोड़ने आ रहे हैं। राहुल गांधी अमेठी में चुनाव जीतने के लिए नहीं आग लगाने के लिए आ रहे हैं। जबकि वह भूल गए हैं कि मैंने पहले भी आग बुझाई थी और आज भी आग बुझाने ही आई हूं।
हिन्दुस्थान समाचार/ लोकेश त्रिपाठी/बृजनंदन/राजेश