प्रभु श्रीराम के जीवन दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता उनका लोकोन्मुख होना : नन्दी

 


प्रयागराज, 05 नवम्बर (हि.स.)। ‘भारतीय कला और साहित्य में श्रीराम एवं रामकथा तथा वैश्विक संस्कृतीकरण पर उसका प्रभाव’ विषय पर अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समापन हुआ। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में राम उन मूल्यों के प्रतिमान हैं जिन आदर्शो ने भारत के लोकमानस की आचरण व मानसिकता को रचा बसा है। वे मर्यादा पुरूषोत्तम राम कहे जाते हैं। राम के जीवन दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता उनका लोकोन्मुख होना है।

सम्राट हर्षवर्धन शोध संस्थान में रविवार को मंत्री नन्दी ने आगे कहा कि राम के चरित्र में पुत्र, भाई, पिता, पति, शिष्य, अयोध्या नरेश आदि की भूमिकाओं में उन्होने सर्वश्रेष्ठ पदीय आदर्शो का पालन किया है। राम और सीता का प्रेम अद्वितीय है। यही समर्पण से भरपूर प्रेम हमारी संस्कृति का एक ऐसा मूल है जो आज भी पति और पत्नी को एकात्म रखता है। राम के सम्पूर्ण जीवन दर्शन यात्रा का उद्देश्य लोक मंगल के लिए एक आदर्श प्रतिमान स्थापित करना है।

विशिष्ट अतिथि इविवि प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्रो. हरि नारायण दुबे ने कहा कि रामकथा की दृष्टि में मानव जीवन के समग्र विकास का संदेश निहित है। राम के जीवन की कथा में भारत की भौगोलिक एकता ध्वनित होती है। देश के सभी प्रमुख भाषाओं में राम के जीवन्त को रचा-बसा गया जिनके प्रचार-प्रसार के कारण भारतीय संस्कृति की एकरूपता बढ़ी है। राम के जीवन की यह कथा भारत सहित सिंहल, तिब्बत वर्मा आदि क्षेत्रों मे ंप्रचलित रामकाव्यों को यदि समाहित कर दें तो यह स्पष्ट होता है कि राम कथा एशियाई संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है।

सागर मध्य प्रदेश से आयी प्रख्यात विद्वान एवं समाजसेवी डॉ. वन्दना गुप्ता ने कहा कि राम के नाम और राम के चरित्र का अनुसरण मात्र से हमारे जीवन का उद्धार होता है। उन्होंने कहा कि काम, क्रोध, मद, लोभ से किया गया कार्य हमारे लिए सदा शर्मिंन्दगी का कारण बनता है। इसलिए हमें इन चारों से हमेशा बचकर अपने जीवन को संचालित करना चाहिए। यह हमारे जीवन में अत्यंत महत्व के साथ जीवन को उन्नति एवं प्रगति के पथ पर अग्रसारित करते हैं।

सम्राट हर्षवर्धन शोध संस्थान के अध्यक्ष अनिल कुमार ‘अन्नू’ ने कहा कि श्रीराम भारतीय साहित्य संस्कृति के महानायक है वे हमारी अस्मिता के प्रतीक हैं। उनका जीवन भारतीयों के लिए सदा प्रेरित रहा है। आयोजक-संयोजक रामरती पटेल पी.जी. कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रदीप कुमार केसरवानी ने कहा कि रामकथा गंगा की भांति सतत प्रवाहमान है। चाहे जितनी भाषाएं हो रामकथा सबमें है। भारतीय वांड़्मय रामकथा से ओत-प्रोत है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकटंक, मप्र के प्रो.व्योमकेश त्रिपाठी ने कहा कि लोकजीवन का राग से युक्त है राम का आचरण व संस्कार संनातन से लोगों का जीवन प्रकाशित करता रहा है। भारतीय लोक काव्य व लोकआचरण रामकथा से प्रवाहित है। राम कथा की दृष्टि में मानव जीवन समग्र विकास का संदेश निहित है।

बीएचयू के पूर्व विभागाध्यक्ष सीताराम दुबे ने कहा कि राम समग्रता के परिचायक हैं। वे लोक कल्याण के लिए समर्पित व प्रतिबद्ध है। राम के बिना हम अपने अस्तित्व व आधार की कल्पना भी नही कर सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रंजना त्रिपाठी ने किया। .इस अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में आज तीन समानान्तर तकनीकी सत्रों का संचालन हुआ। जिसमें 60 से अधिक अध्येयताओं ने अपने शोध पत्र का वाचन करते हुए राम का विविध नवीन आयामों को रेंखांकित किया। दो दिवसीय सेमिनार में 10 लोगों को बेस्ट रिसर्च पेपर प्रजेंटेसन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण