शहीदों की याद में काशी के नभ मंडल में जले आकाशदीप

 






- गंगा तट पर आकाशदीप जलाकर अमर शहीदों को किया गया नमन

वाराणसी, 17 अक्टूबर (हि.स)।

शहीदों की राह रोशन करने के लिए काशी के नभमंडल में गुरुवार शाम बांस की टोकरियों में आकाशदीप प्रज्वलित हुए। गंगातट से आकाशदीप जब कतार में गगन की ओर चले तो दिव्य नजारे ने सबकों श्रद्धा से अभिभूत कर दिया। एक ओर शरद पूर्णिमा की चांदनी चटख हुई दूसरी ओर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर शहीदों की याद में बांस के पोरों पर आकाशदीप जगमगाने लगे। बांस की डलियों में टिमटिमाते दीप चंद्रहार जैसे झिलमिला उठे। गंगोत्री सेवा समिति की ओर से यह आकाशदीप लोगों की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले पुलिस एवं पीएसी के 11 शहीदों की स्मृति में जलाए गए। गंगा की मध्यधारा में दीपदान भी किया गया। प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर पुलिस और पीएसी के शहीद जवानों को नमन करते हुए आकाशदीप जलाने की शुरुआत पांच वैदिक आचार्यों ने मां गंगा के षोडशोचार पूजन से की। इसके बाद 101 दीपों को गंगा में प्रवाहित किया गया। इस दौरान वेद मंत्रों की गूंज होती रही। आयोजन मे विशिष्ट अतिथि के रूप में अजित कुमार थुनला उपस्थित रहे। पीएसी बैंड की धुन के साथ अतिथियों ने शहीदों की याद में आकाशदीप प्रज्ज्वलित किए। जिन शहीद जवानों की याद में आकाशदीप जलाए गए उनमें शिवराज सिंह मुख्य आरक्षी, मनीष यादव मुख्य आरक्षी यातायात, योगेन्द्र सिंह मुख्य आरक्षी,

ओमवीर सिंह मुख्य आरक्षी, आकाश तोमर आरक्षी, संजय कुमार मुख्य आरक्षी, रवि कुमार आरक्षी, नरेश नेहरा मुख्य आरक्षी, विरेन्द्र कुमार दूबे मुख्य आरक्षी,

प्रकाश कुमार आरक्षी, अजय कुमार त्रिपाठी उपनिरीक्षक के नाम शामिल हैं। आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक पुलिस और पीएसी के

शहीद जवानों की याद में जलाए जाने वाले आकाशदीप की शुरुआत के अवसर पर समिति के अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे ने बताया कि शहीदों की आत्माओं का मार्ग आलोकित करने के लिए गंगा के तट पर आकाशदीप रोशन किए जाते हैं। कार्तिक मास में दीपदान का विधान और विशेष महत्व है। गंगा के घाट पर कार्तिक माह में जलता आकाशदीप इस बात का परिचायक है कि हमारे शहीदों के प्रति हमारे मन में श्रद्धा की रौशनी कितनी उज्जवल है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी