समाज की उन्नति ही राष्ट्र की उन्नति : प्रांत प्रचारक
संस्कार केंद्र आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए पथप्रदर्शक : युद्धवीर सिंह
-- माधव ज्ञान केंद्र खरकौनी में सेवा भारती प्रयाग नैनी भाग का वार्षिकोत्सव
प्रयागराज, 28 अप्रैल (हि.स.)। जो अशिक्षित हैं उन्हें संस्कारवान के साथ शिक्षित बनाना ही सेवा भारती का संकल्प है। जो समाज और परिवार का हिस्सा बनें। तब समाज की उन्नति ही राष्ट्र की उन्नति है।
उक्त विचार रविवार को सेवा भारती समिति प्रयागराज द्वारा संचालित सेवा भारती प्रयाग नैनी भाग के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि रमेश कुमार प्रांत प्रचारक काशी प्रांत ने व्यक्त किया।
मुख्य वक्ता युद्धवीर सिंह क्षेत्र सेवा प्रमुख पूर्वी यूपी ने कहा समाज का निर्माण सेवा भारती द्वारा संचालित संस्कार केंद्रों के उत्कृष्ट शिक्षा से ही हुआ है। जो बच्चों ने विभिन्न रूपों में प्रस्तुति व चित्रण दिखाया है, वह बहुत ही सराहनीय हैं। संस्कार केंद्र आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए पथ प्रदर्शक होगा।
विशिष्ट अतिथि राहुल सिंह अध्यक्ष सेवा भारती समिति काशी प्रांत ने कहा ओम् में ही सर्वशक्ति का रहस्य हैं। जो मानव जीवन को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता हैं। ओम् के उच्चारण मात्र से ही चेतना जागृत हो जाती हैं। अध्यक्षता फलाहारी बाबा रामरतन दास महाराज ने किया।
इसके पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर सेवा भारती प्रयाग नैनी भाग का वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। गायत्री मंत्र द्वारा बच्चों ने स्वागत वंदन किया, बाल संस्कार केंद्र द्वारा रंगमंच स्वरूप में नृत्य प्रस्तुत किया। डॉ भीमराव अम्बेडकर बाल संस्कार केंद्र के बच्चों ने बच्चा बच्चा राम हैं गीत प्रस्तुत किया। जिसे सुनकर उपस्थित जनसमूह ने जोरदार तालियों से गुंजायमान कर दिया। नैनी भाग की किशोरियों ने योगासन की प्रस्तुति देकर शारीरिक, मानसिक व सामाजिक रूप से मजबूत रहने का संदेश दिया। तदुपरान्त एकलव्य बाल संस्कार केंद्र ने भगवान श्रीराम का माता शबरी से मिलने के प्रसंग ने रोमांचक बना दिया।
कार्यक्रम का संचालन राजेश सिंह ने किया। इस मौके पर धर्मेन्द्र नारायण मिश्र, डॉ विंध्यवासिनी प्रसाद त्रिपाठी, राहुल, चंदनी भारतीया, यश गोस्वामी, तनु मिश्रा, सुषमा पाल, आरती प्रजापति, निखिल द्विवेदी, बृजेश द्विवेदी, राजीव कुमार सिंह, समाजसेवी दिनेश तिवारी सहित सात संस्कार केंद्रों के बच्चों ने प्रतिभाग किया।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन