लखनऊ के बाजारों में धड़ल्ले से बिक रही मिलावटी देशी घी

 


लखनऊ, 09 मार्च(हि.स.)। लखनऊ में खुले बाजारों में शुद्ध देशी घी के नाम पर मिलावटी देशी घी धड़ल्ले से बिक रही है। होली पर्व के पहले मिठाईयों को बेचने वाले दुकानदार ही बड़ी मात्रा में देशी घी खरीद रहे हैं। कम रेट होने के कारण दुकानदारों को भी ऐसे विक्रेता पसंद आ रहे हैं। दूसरे ब्रांड या शुद्ध देशी घी बेचने वाले लोग के रेट अधिक होने से खरीदारी करने वाले दुकानदार उनसे दूरी बनाते हैं।

राजधानी लखनऊ का आलमबाग क्षेत्र बड़ा व्यापारी क्षेत्र बन चुका है। मिलावटी देशी घी को आलमबाग के मिष्ठान की दुकानों में कम मूल्य पर बेचकर खपाया जा रहा है। बीते दिनों एक रेस्टूरेंट मालिक ने देशी घी पर आपत्ति जतायी थी और इसके बाद बिक्री करने वाले व्यापारी से खरीदारी रोक दी थी। इसके बाद बड़ी दूध कम्पनी का देशी घी खरीदकर रेस्टूरेंट मालिक अपने दुकान की खाद्य सामग्री का निर्माण करा रहे हैं।

नाका क्षेत्र में शुद्ध देशी घी बेचने वाले दीपक जैन ने बताया कि विभिन्न कम्पनियों के देशी घी के होलसेल बिक्री करने के अलावा वे स्वयं भी शुद्ध देशी घी बनाते हैं। खुर्जा का देशी घी बेचने के लिए उन्होंने अपना रेट तय कर रखा है। उनके देशी घी की गारंटी वह स्वयं है। बाजारों में बिकने वाले देशी घी में मिलावट होना आम बात है। आज प्रतिस्पर्धा के दौर में मिलावटी सामग्री बिक रही है तो देशी घी में मिलावट हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि बाजार में देशी घी के नाम पर मलाई वाला घी,बिलोय के नाम पर रंग रोगन वाला घी बेचा जा रहा है। जिसमें कोई शुद्धता नहीं होती है। दही मक्खन से बना देशी घी में शुद्धता होती है और इसकी महक ही आपको अपनी ओर आकर्षित कर देगी।

जानकीपुरम क्षेत्र में गौपालक व देशी घी बनाने वाले ओमप्रकाश ने कहा कि देशी घी में रिफाइन्ड तेल या कुछ अन्य तेल मिलाकर बड़ी आसानी से उसकी मात्रा बढ़ायी जाती है। देशी घी में मिलावट कर होली या दीपावली पर कम रेट में बेच दिया जाता है। मोटा मुनाफा कमाने के लिए खरीददार और बिक्री करने वाला दोनों ही देशी घी का व्यापार कर लेते हैं।

उन्होंने कहा कि वह स्वयं बिलोय वाला देशी घी बनाते हैं। जिसे बनाने में समय लगता है तो पर्याप्त दूध से बनी हुई दही लग जाती है। मिलावटी देशी घी को पहचानना सबसे ज्यादा आसान है, देशी घी में चिकनापन बढ़ जाता है। इसे छूकर महसूस किया जा सकता है। दूध से क्रीम निकालकर भी देशी घी बनता है और इसे भी शुद्ध देशी घी कहकर बेचते हैं। यह फिर भी देशी घी ही होता है। बाजार में तो मिलावटी के साथ—साथ नकली घी तक बेची जा रही है।

शहर में दूध कम्पनियों नमस्ते इंडिया,अमूल,ज्ञान के आधा किलो,एक किलो,पांच किलो के पैकेट में देशी घी उपलब्ध है। ये दूध कम्पनियां अपने देशी घी को आकर्षण ऑफर के साथ बेचती है। कम्पनियों के शहर के तमाम दुकानें, स्टोर खुले हुए हैं। जहां से बड़ी संख्या में लोग देशी घी खरीदते हैं। रोजाना उपयोग में लाने के लिए मिष्ठान दुकानदार भी दूध कम्पनियों के देशी घी पर विश्वास करने लगे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद/राजेश