संपूर्णानंद संस्कृत विवि में संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्व कल्याण-महायज्ञ शुरू

 




वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजायमान विश्वविद्यालय परिसर,महायज्ञ से विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान

वाराणसी,12 मार्च (हि.स.)। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग के यज्ञशाला में मंगलवार से विश्व कल्याण सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण के लिए संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्व कल्याण-महायज्ञ प्रारम्भ हुआ। महायज्ञ में चारों वेदों ऋग्वेद,यजुर्वेद सामवेद एवं अथर्ववेद के मन्त्रों से हवन किया गया। महायज्ञ विश्व में पहली बार एक वर्ष तक अनवरत चलेगा। महायज्ञ में अनेक यज्ञीय पदार्थों से प्रतिदिन नवकुण्डों में आहुति दी जाएगी। सामान्यतः चारों वेदों की संहिताओं के सम्पूर्ण मन्त्रों से आहुति होगी। विशेष अवसरों जैसे नवरात्र, श्रावण माह, दीपावली, कार्तिक माह में विशेष मन्त्रों दुर्गासप्तशती, रुद्री, पुरुष सूक्त, श्रीसूक्त आदि से भी हवन किया जायेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि यज्ञ सामूहिकता का प्रतीक है। अन्य उपासनाएं या धर्म-प्रक्रियाएं ऐसी हैं, जिन्हें कोई अकेला कर या करा सकता है; पर यज्ञ ऐसा कार्य है, जिसमें अधिक लोगों के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है। महायज्ञ के लिए काशी के राजनेता, उद्योगपति, बुद्धजीवी आगे आए है। उन्होंने बताया कि इस महायज्ञ से प्राकृतिक वातावरण में शुद्धता और स्वस्थ जीवन का निर्माण होगा। यहां के विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान की जानकारी होगी। कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि विश्व गुरु बनना है तो संस्कृत शास्त्रों में निहित भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे लाना होगा, इसमें संरक्षित ज्ञान को सर्व सुलभ बनाना होगा। ये महायज्ञ उसी ज्ञान धारा का प्रारम्भ है जो कि जनकल्याण के लिए किया जा रहा है। कार्यक्रम में उपस्थित महापौर अशोक तिवारी ने विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह संस्था सनातन संस्कृति के संवर्धन, पोषण और रक्षा के लिए एक लाख से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण भी कर रही है। जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के बहुमूल्य रत्न निहित है। महायज्ञ में सहयोग करने वाले उद्योगपति एवं विकास समिति के अध्यक्ष आर.के. चौधरी ने कहा कि विश्व बंधुत्व और भारतीय संस्कृति के संरक्षण करने वाली संस्था का केंद्रीयकरण होनी चाहिए। केंद्रीय संस्था होने से इस संस्था के अभ्युदय एवं उत्थान मे कोई बाधा नहीं उत्पन्न होगी।

महायज्ञ के पूर्व परिसर स्थित पंच मंदिर में सभी तीर्थों की पूजा कर जलयात्रा निकाली गई। इसके बाद पंचांग पूजन,यज्ञशाला में मंडप पूजन किया गया। वैदिक पद्धतियों से अरणि मंथन कर अग्निहोत्र डॉ. ज्ञानेन्द्र सांपकोटा ने अग्नि का प्राकट्य किया। फिर अन्य वेदियों सर्वतोभद्र मंडल, योगिनी मण्डल,वास्तुमंडल,क्षेत्रपाल मंडल,नवग्रह आदि का पूजन किया। महायज्ञ का संचालन प्रो. महेंद्र और जयशंकर ने किया।

महायज्ञ में श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय,विवि के कुलसचिव आईएएस राकेश कुमार, पद्मश्री चन्द्रशेखर सिंह,पद्मश्री रजनीकांत द्विवेदी,वास्तुविद आरसी जैन,उमाशंकर अग्रवाल,अशोक अग्रवाल,रमेश चौधरी,बीएचयू के प्रो.रमाकांत पाण्डेय, डॉ हृदय नारायण पाण्डेय, प्रो. कमलेश झा,प्रो. भागवत शरण शुक्ल(काशी न्यास ),प्रो. उपेन्द्र पाण्डेय,डॉ. बी.बी. ओझा,प्रो. धर्म दत्त चतुर्वेदी, प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल,अर्चक डॉ. ऋषि मिश्र आदि भी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम