सामाजिक समरसता के लिए सभी मिल जुल कर करें प्रयास : रमेश
-आरएसएस ने मकर संक्रांति पर्व सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मनाया
प्रयागराज, 14 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रमेश ने आह्वान किया कि सामाजिक समरसता स्थापित करने के लिए सभी मिलकर आगे आयें। देश में अति प्राचीन काल से पूरा हिन्दू समाज समन्वय एवं सामंजस्य की भावना से मिलजुल कर रहता आया है। यहां सामाजिक विषमता के लिए कभी कोई स्थान नहीं रहा।
रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मकर संक्रांति पर्व को सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मनाया। प्रयाग उत्तर भाग की ओर से झूंसी के तुलापुर स्थित एक गेस्ट हाउस में हुए सहभोज कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने मिल जुल कर खिचड़ी खाई और एक दूसरे को मकर संक्रांति की बधाई दी।
सहभोज के पूर्व प्रांत प्रचारक रमेश ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वीर सावरकर, स्वामी विवेकानंद, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जैसे महान संतों एवं समाज सुधारकों ने सामाजिक समरसता स्थापित करने के लिए हमेशा लोगों को प्रेरित किया। जब-जब सामाजिक समरसता में कमी आई है तो देश को पराधीनता का संत्रास झेलना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि विदेशी शक्तियों ने फूट डालो राज करो की नीति से प्रभावित होकर यहां विषमता को जन्म देने का प्रयास किया। इसके कारण देश लम्बे समय तक गुलाम रहा। उन्होंने कहा कि संगठित हिन्दू ही समर्थ भारत का निर्माण कर सकता है। हिन्दू समाज के संगठित हुए बिना देश को वैभव के शिखर पर ले जाना सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि संघ की शाखा शुरू न हुई होती तो न तो राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर की कल्पना साकार हो सकती थी और न ही कश्मीर से अनुच्छेद 370 हट सकती थी।
प्रांत प्रचारक ने याद दिलाया कि इस देश में वीरांगनाओं के पराक्रम का सही इतिहास पढ़ाया जाता तो देश में कही लव जेहाद की घटना न हो पाती। दिल्ली के मीना बाजार को बंद करवाने वाली वीरांगना का नाम आज इतिहास में कहीं पढ़ाया ही नहीं जाता।
प्रभु श्री राम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि निषाद राज गुह, शबरी तथा जटायु को पूरी आत्मीयता एवं प्रेम देकर भगवान श्री राम ने देश में सामाजिक समरसता का दिव्य संदेश दिया। देश में सामाजिक विषमता होती तो राम शबरी से मिलने न जाते। राम और राष्ट्र एक दूसरे के पर्याय हैं। उन्होंने राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए कारसेवकों के त्याग समर्पण और बलिदान का उल्लेख करते हुए कहा कि 1990 और उसके आसपास राम भक्तों पर जिस तरह का अत्याचार हुआ वैसा अत्याचार तो मुगलों के शासनकाल में भी नहीं हुआ। उन्होंने याद दिलाया कि पूरे देश में हिंदू शक्ति के संगठित होने के कारण ही आज मंदिर निर्माण की कल्पना साकार हो रही है। हिन्दू समाज को और भी अधिक सुसंगठित करने के लिए सबको प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
इस दौरान मंच पर भाग संघचालक लालता प्रसाद उपस्थित रहे। भाग कार्यवाह मुकेश ने बौद्धिक प्रारम्भ होने से पूर्व अतिथि परिचय कराया। इस अवसर पर भाग प्रचारक राज्यवर्धन, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ मुरार त्रिपाठी, सहभाग कार्यवाह राम कुमार, डॉ प्रमोद, ब्रह्मशंकर, डॉ संतोष, नगर कार्यवाह अजय, दीपक, राजेश आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/आकाश