ऊर्जा संकट की ओर इशारा कर रही बढ़ती गर्मी
कानपुर, 26 फरवरी (हि.स.)। सर्दी के बाद आमतौर पर तापमान मार्च माह के दूसरे पखवारे से तापमान बढ़ना शुरु होता है, लेकिन इस बार देखा जा रहा है कि फरवरी में मार्च की तरह पारा पहुंच गया है। इससे बिजली की खपत भी बढ़ गई है। यही नहीं भारत के कुछ हिस्सों में उच्च तापमान ने हाल के सप्ताहों में बिजली की मांग को लगभग रिकॉर्ड स्तर पर धकेल दिया है, जिससे बिजली आपूर्ति पर एक और गर्मी के दबाव की चिंता बढ़ गई है। यह बातें रविवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने कही।
उन्होंने बताया कि जनवरी में बिजली की चरम मांग 211 गीगावाट तक पहुंच गई, जो पिछली गर्मियों में एक सर्वकालिक उच्च स्तर के करीब थी, जब भारी उद्योग महामारी के प्रतिबंधों से पीछे हट गया था और आबादी ने भीषण परिस्थितियों का सामना किया था, जिसने 122 साल पुराने गर्मी के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। पिछले सप्ताह कुछ क्षेत्रों में तापमान सामान्य से 11 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है और भारत मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को गर्मी के तनाव के संकेतों के लिए गेहूं और अन्य फसलों की जांच करने की सलाह दी है। गर्म मौसम की असामान्य रूप से शुरुआती और पूर्वानुमान है कि सिंचाई पंप और एयर कंडीशनर के क्रैंक होने के कारण बिजली की खपत में वृद्धि होगी। इस चिंता को बढ़ावा दे रहा है कि दो लगातार वर्षों के व्यवधान के बाद देश का ऊर्जा नेटवर्क नए तनाव में आ जाएगा।
बताया कि आयातित कोयले का उपयोग करने वाले पावर स्टेशनों को पहले ही गर्मी के मौसम में ब्लैकआउट से बचने और घरेलू कोयले की आपूर्ति पर दबाव कम करने के लिए तीन महीने के लिए पूरी क्षमता से काम करने का आदेश दिया गया है। भारत के ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार अप्रैल में बिजली की मांग 229 गीगावाट की नई ऊंचाई तय कर सकती है।
हिन्दुस्थान समाचार/महमूद