रामोत्सव 2024 : हमारे राम लला अब टेंट में नहीं, दिव्य मंदिर में रहेंगेः पीएम मोदी
- श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने व्यक्त किए अपने भाव
- पीएम मोदी ने कहा- सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए
- सदियों के धैर्य की धरोहर मिली है, हमें श्रीराम का मंदिर मिला हैः पीएम
- 1000 साल बाद भी लोग आज की तारीख और पल की चर्चा करेंगेः मोदी
- ये रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं, इसे घटित होते साक्षात देख रहे हैंः नरेंद्र मोदी
- ये श्रीराम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा हैः पीएम
- पीएम ने कहा सभी देशवासी इसी पल से सर्वत्र, सक्षम, भव्य और दिव्य भारत की सौगंध लेते हैं
- कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बनेगा तो आग लग जाएगी, राम आग नहीं ऊर्जा हैं : मोदी
अयोध्या, 22 जनवरी। अयोध्या धाम में नव निर्मित मंदिर में श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भाव विभोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे राम लला आ गए। अब हमारे राम लला टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे राम लला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। उन्होंने कहा कि सदियों के धैर्य की आज धरोहर मिली है। आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। 1000 साल बाद भी लोग आज की तारीख और पल की चर्चा करेंगे। ये रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं। इसे घटित होते साक्षात देख रहे हैं।
● पीएम मोदी ने कहा, आज हमारे राम आ गए हैं, सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों का अभूतपूर्व धैय, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे राम आ गए हैं। समस्त देशवासियों को बहुत बहुत बधाई।
● उन्होंने कहा कि मैं अभी गर्भगृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके समक्ष हूं। कहने को बहुत कुछ है मगर कंठ, शरीर अभी भी स्पंदित है। चित अभी भी उस पल में लीन है। हमारे राम लला अब टेंट में नहीं रहेंगे, हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे।
● पीएम ने कहा कि मेरा पक्का विश्वास और अपार श्रद्धा है कि जो घटित हुआ है उनकी अनुभूति देश और विश्व के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही है। ये क्षण अलोकिक है। ये माहौल, वातावरण, ऊर्जा और घड़ी अलौकिक है। ये प्रभु का आशीर्वाद है1 22 जनवरी 2024 का सूरज अद्भुत आभा लेकर आया है। ये कैलेंडर पर लिखी तारीख नहीं, ये नए काल चक्र का उद्गम है।
● उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ये दिन नजदीक आ रहा था, प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। निर्माण कार्य देख देशवासियों में नया विश्वास पैदा हुआ था। सदियों के उस धैर्य की आज धरोहर मिली है। आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है।
● उन्होंने कहा कि 1000 साल बाद भी लोग आज की तारीख और पल की चर्चा करेंगे। ये रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं। इसे घटित होते साक्षात देख रहे हैं। आज दिन दिशाएं दिगंत दिव्यता से परिपूर्ण है। ये सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं।
● पीएम ने कहा कि हम सब जानते हैं जहां राम का काम होता है वहां पवन पुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं1 इसलिए मैं रामभक्त हनुमान को, माता जानकी, लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न को नमन करता हँ। पावन अयोध्या नगरी को प्रणाम करता हूं।
● वो बोले, जिनके आशीर्वाद से ये महान कार्य पूरा हुआ है। वे दैवीय विभूतियां हमारे आसपास उपस्थित हैं। इनको कृतज्ञता पूर्वक नमन करता हूं। प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे प्रयास, त्याग तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हो चुकी है। मुझे विश्वास है प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।
● पीएम मोदी ने कहा कि त्रेता में राम आगमन पर पूज्य संत तुलसीदास ने लिखा है, 'प्रभु का आगमन देखते ही हर्ष से भर गए लंबे वियोग से जो आपत्ति आई थी उसका अंत हो गया। उस काल खंड में वो वियोग केवल 14 वर्षों का था, इस युग में देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों तक वियोग सहा है। कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है।
● उन्होने कहा कि भारत के संविधान के पहली प्रति में भगवान राम विराजमान हैं। इसके अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक कानूनी लड़ाई चली। मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।
● उन्होंने कहा कि आज गांव-गांव में कीर्तन और संकीर्तन हो रहे हैं। मंदिरों में उत्सव हो रहे हैं। स्वच्छता उत्सव हो रहे हैं। पूरा देश आज दीपावली मना रहा है। आज शाम घर घर दीपोत्सव मनाने की तैयारी है। घर-घर रामज्योति प्रज्ज्ज्वलित करने की तैयारी है।
● पीएम बोले, कल प्रभु के आशीर्वाद से धनुषकोडी में रामसेतु के आरंभ बिंदु पर था। उस भाव, पल को महसूस करने का प्रयास किया, पुष्प वंदना की। जैसे उस वक्त काल चक्र बदला था, वैसे ही काल चक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा। 11 दिनों के उपवास के दौरान उन स्थानों पर प्रवास किया जहां श्रीराम के चरण पड़े।
● उन्होंने कहा कि मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का पवित्र भाव से अवसर मिला। सागर से सरयू तक राम नाम का उत्सव छाया हुआ है। राम आदिवासियों के मन में विराजे हुए हैं। भारत में किसी भी अंतरआत्मा को छुएंगे तो इसी की अनुभूति होगी। इससे उपयुक्त देश को समायोजित करने वाला सूत्र और कुछ नहीं।
● पीएम ने कहा, हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में अपने अपने शब्दों में अपनी अपनी तरह से राम को अभिव्यक्त किया है। प्राचीन काल से भारत के हर कोने में लोग रामरस का आचमन करते रहे हैं। रामायण अनंत है। राम के आदर्श, मूल्य, चिंताएं सब जगह एक हैं।
● उन्होंने कहा, आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को याद कर रहा है, जिनकी वजह से आज हम ये दिन देख रहे हैं। कितने ही लोगों ने रामकाल के लिए त्याग की पराकाष्ठा पार की। हम उन अनगिनत महापुरुषों के ऋणी है।
● पीएम बोले- ये क्षण भारतीय समाज के परिपक्वता के बोध का समय है। ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं विनय का भी है। इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने इतिहास में उलझ जाते हैं। मगर हमारे देश ने इतिहास की गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता से खोला है वो दिखाता है कि हमारा भविष्य हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने वाला है।
● पीएम ने कहा, लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ये लोग भारत की सामूहिकता को नहीं जानते थे। हम देख रहे हैं कि निर्माण किसी आदि को नहीं बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। ये मंदिर समाज के हर वर्ग को उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। राम आग नहीं राम ऊर्जा हैं। विवाद नहीं समाधान हैं। सिर्फ हमारे नहीं सबके हैं। वर्तमान ही नहीं अनंतकाल हैं।
● उन्होंने कहा कि इस आयोजन से पूरा विश्व जुड़ा है। इससे राम की सर्वव्यापकता के दर्शन हो रहे हैं। अनेक देशों में ऐसा ही उत्सव है। अयोध्या का उत्सव रामायण की परंपराओं का उत्सव है। ये वसुधैव कुटुम्बकम का उत्सव है। ये श्रीराम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है। ये मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च मूल्यों की प्राण प्रतिष्ठा है।
● पीएम ने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिना के संकल्प को आज साक्षात आकार मिला है। ये मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है। ये भारत की दृष्टि, दर्शन और दिग्दर्शन का मंदिर है। ये राष्ट्रचेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था और आधार हैं। भारत का विचार और विधान हैं। राम भारत की चेतना, चिंतन, प्रतिष्ठा, प्रभाव, नेति, नीति, नित्यता, निरंतरता, राम व्यापक हैं, विश्वात्मा हैं। इसलिए राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव वर्षों या शताब्दियों तक नहीं बल्कि हजारों सालों तक होता है। राम 10 हजार वर्षों के लिए राज्य पर प्रतिष्ठित हुए। हजारों वर्ष तक राम राज्य स्थापित था। हजारों वर्ष तक राम विश्व का मार्गदर्शन करते रहे।
● उन्होंने कहा कि श्रीराम का भव्य मंदिर तो बन गया। सदियों का इंतजार खत्म हो गया। अब आगे क्या। जो दैवीय आत्माएं हमें आशीर्वाद देने आई हैं। उन्हें क्या हम ऐसे ही विदा करेंगे। नहीं..; आज मैं पूरे पवित्र मन से महसूस कर रहा हूं कि काल चक्र बदल रहा है। ये सुखद संयोग है कि हमारी पीढ़ी को चुना गया है। हजारों साल बाद की पीढ़ी हमारे कार्यों को याद करेगी। हमें आज इस पवित्र समय से अगले एक हजार साल की नींव रखनी है। सभी देशवासी इसी पल से सर्वत्र, सक्षम, भव्य और दिव्य भारत की सौगंध लेते हैं।
● उन्होंने कहा कि मेरी आदिवासी मां शबरी का ध्यान आते ही विश्वास जाग उठता। मां शबरी कबसे कहती थीं कि राम आएंगे। प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास भव्य भारत का आधार बनेगा। यही देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार है। निषादराज का राम के लिए सम्मोहन और राम का निषादराज के प्रति मोह कितना मौलिक है। आज देश में निराशा के लिए रत्ती भर भी स्थान नहीं है। अगर कोई सोचता है कि मैं बहुत सामान्य और छोटा हूं तो उसे गिलहरी के योगदान का स्मरण करना चाहिए। यह हमे सिखाता है कि छोटे बड़े प्रयासों की अपनी ताकत और सामर्थ्य होता है।
● पीएम ने कहा, लंकाधिपति रावण प्रकांड ज्ञानी थे और अपार शक्ति के धनी थे। जटायु महाबली से भिड़ गए। उन्हें पता था कि रावण को परास्त नहीं कर सकते है। कर्तव्य का यही समर्पण देव से देश और राम से राष्ट्र का भाव उत्पन्न करता है। हम खुद को राम काज से राष्ट्र काज के जरिए जोड़ देंगे।