मौसम के बदलाव में शीतलहर और पाला से बचाएं फसल : मौसम वैज्ञानिक

 


कानपुर, 28 दिसम्बर (हि.स.)। नया साल आने को है और मौसम में इन दिनों जबरदस्त बदलाव हो रहा है। शीतलहर के साथ पाला भी तेजी से पड़ने की संभावना दिख रही है। ऐसे में किसान भाइयों को अपनी फसलों को लेकर सचेत रहना चाहिये और शीतलहर व पाला से फसलों को बचाने के नीचे दिये गये उपायों को अपनाएं। यह बातें गुरुवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने कही।

उन्होंने बताया कि पाला यानी अत्यधिक ठंड से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में लगे पौधों को होता है। इससे बचने के लिए नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पहले से बच जाते हैं। पॉलिथीन की जगह पुआल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री से नीचे नहीं जाएगा और फसलों को पहले से हो रहे नुकसान से बचाया जा सकेगा। सिंचाई करने से तापमान 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।

रासायनिक तरीके से करें बचाव

जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उस दिन फसलों पर सल्फर के 80 डब्ल्यूडीजी पाउडर को 3 किलोग्राम एक एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दें और इसके बाद खेतों की सिंचाई कर दें। इससे फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।

पेड़ लगाकर ठंडी हवाओं से करें बचाव

फसलों को पहले से ही सुरक्षित रखने के लिए खेत की उत्तर-पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर हवा को रोकने वाला पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, जामुन आदि लगा दें। इससे फसलों को ठंडी हवाओं के झोंकों से बचाया जा सकता है। किसान यदि आपको फसलों में किसी भी कीट रोग की संभावना दिखे तो तुरंत कृषि विभाग या संबंधित अधिकारी से संपर्क करें, या अपने नजदीकी कृषि रक्षा इकाई से संपर्क कर सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/बृजनंदन