केवल शोधपत्र नहीं बल्कि बेहतरीन उत्पाद पर केंद्रित हो शोध : प्रो.अरूण पांडेय
- इविवि के वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रो. एसएन चतुर्वेदी संस्मरण व्याख्यान
प्रयागराज, 02 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में शुक्रवार को भारतीय वनस्पति सोसायटी के सहयोग से प्रो. एसएन चतुर्वेदी संस्मरण व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता प्रो. अरूण कुमार पांडेय ने कहा कि नए शोध करने के दौरान शोधार्थी को ध्यान रखना चाहिए कि शोध के उत्पाद बेहतरीन हों जिससे समाज को अधिक फायदा मिल सके। शोधकार्य केवल शोधपत्र प्रकाशित करने तक सीमित न रखा जाए।
संस्मरण व्याख्यान का विषय ‘डायवर्सिटी, फालोगेनी एवं डोमेस्टीकेशन ऑफ कुकरबिटेसी’ रहा। मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी भोपाल के प्रति कुलाधिपति और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ.अरूण कुमार पांडेय ने कुकरबिटेसी की विविधता और वंशवृक्ष के बारे में जानकारी दी।
प्रो. अरूण कुमार पांडेय ने पूरे विश्व में फैले कुकरबिटेसी की विभिन्न प्रजातियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कुकरबिटेसी वंश के पौधे करीब 11000 साल पुराने हैं। भारत में कुकरबिटेसी वंश जैसे कि खीरा, कद्दू, तरबूज, परवल, खरबूज आदि की 94 प्रजातियां पाईं जाती हैं। उन्होंने बताया कि कुछ वन्य प्रजातियां अपने प्राकृतिक वातारण में अधिक फलती-फूलती हैं। यदि उन्हें कहीं और उगाया जाता है तो उनकी उत्पादकता में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में इस दिशा में काफी शोध कार्य किए जा रहे हैं ताकि पौधों को अन्य पर्यावरणीय दशाओं में भी उगाया जा सके।
मंच संचालन डॉ. हरमंजीत कौर ने किया। अंत में कार्यक्रम समन्यवक डॉ. श्वेता शेखर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान प्रो.संजय मिश्र, प्रो.सोनाली, डॉ.प्रतीक श्रीवास्तव, डॉ.अश्वनी कुमार, डॉ.वैभव श्रीवास्तव और प्रो.मनोज कुमार सिंह सहित भारतीय वनस्पति सोसायटी के वैज्ञानिकों के साथ विश्वविद्यालय के शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / मोहित वर्मा