बीमार प्रभु जगन्नाथ को चढ़ा काढ़े का प्रसाद, मंदिर में प्रसाद पाकर श्रद्धालु निहाल

 


वाराणसी, 28 जून (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ की नगरी में नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ भक्तों के प्रेम में अत्यधिक स्नान (जलाभिषेक) से प्रतीक रूप से बीमार है। भगवान जगन्नाथ अब एक पखवाड़ा तक विश्राम करेंगे। बीमार प्रभु को काढ़ा का भोग चढ़ा कर श्रद्धालुओं में इसे वितरित किया जा रहा है।

शुक्रवार को अस्सी स्थित मंदिर के पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय ने काढ़े का भोग चढ़ाया। इसके बाद गर्भगृह का कपाट बंद कर दिया गया। काढ़े को प्रसाद स्वरूप लेने के लिए मंदिर में भीड़ जुटी रही। पुजारी ने बताया कि परंपरा के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मंदिर में भगवान जगन्नाथ ,भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रह का जलाभिषेक होगा है। भक्तों के प्रेम में अधिक स्नान से भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। तेज ज्वर से पीड़ित प्रभु 14 दिनों तक आराम करते हैं। उन्हें प्रतीक रूप से हल्का भोजन दिया जाता है। इसमें मूंग की दाल, दलिया, खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही दवा के रूप में उन्हें जड़ी-बूटी और काढ़ा बनाकर दिया जाता है। इस दौरान वह न तो किसी भक्त को दर्शन देते हैं। और न ही विशेष पूजा पाठ की जाती है। काशी के केदारखंड में स्थित अस्सी मोहल्ले में भगवान जगन्नाथ के मंदिर का का कपाट आम भक्तों के दर्शन पूजन के लिए बंद हो जाता है।

भगवान के इस खास प्रसाद को लेकर मान्यता है कि जो भक्त काढ़े के इस प्रसाद को ग्रहण करता है, वह पूरे साल रोगों से दूर रहता हैं। काढ़े के प्रसाद के लिए शाम को भक्तों की भीड़ प्रतिदिन मंदिर पहुंचती हैं। इस काढ़े को काली मिर्च, लौंग, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, कच्ची चीनी, जायफल, तुलसी, गुलाब जल, मुलेठी और अदरक को उबाल कर तैयार किया जाता है।

पुजारी ने बताया कि शाम 4 से 6 बजे तक प्रतिदिन यह काढ़ा भोग लगाने के बाद भक्तों में वितरित किया जाता है। पुजारी ने बताया आराम के बाद 5 जुलाई को भगवान स्वस्थ्य होकर भक्तों को दर्शन देंगे। 6 जुलाई की शाम को भव्य पालकी निकलेगी। यह पालकी क्षेत्र का भ्रमण करते हुए रथयात्रा चौराहे पर पहुंचेगी। यहां 7 जुलाई से 9 जुलाई तक विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा मेले का आयोजन होगा। 10 जुलाई को भोर में भगवान को मंदिर में पुन: विराजित कर दिया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश