चाइनीज मांझे के विरोध में उतरे किलर मांझा प्रतिबंध अभियान समिति के लोग

 




जौनपुर ,19 दिसंबर (हि.स.)। यूपी के जौनपुर में प्रतिबंधित चाइनीज/नायलॉन/सिंथेटिक मांझे के खिलाफ जन जागरण अभियान शुरू हो गया है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 11 जुलाई 2017 को इस घातक मांझे पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन आठ साल बाद भी यह जिले के बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा है। नायलॉन, प्लास्टिक, तात वाला, सीसा लेपित या कोई भी गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझा पूरी तरह प्रतिबंधित है, जबकि केवल सूती धागा ही सुरक्षित है। प्रशासन की कथित उदासीनता के कारण यह मांझा सड़कों पर जानलेवा साबित हो रहा है।

हाल ही में 11 दिसंबर को शास्त्री ब्रिज पर एक दर्दनाक हादसा हुआ। अपनी बेटी को स्कूल छोड़कर लौट रहे 40 वर्षीय निजी स्कूल शिक्षक संदीप तिवारी प्रतिबंधित मांझे की चपेट में आ गए। मांझे की तेज धार से उनकी गर्दन कट गई और अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। यह कोई अकेली घटना नहीं है; इस साल जौनपुर और प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसके अलावा, पक्षी और जानवर भी इस घातक मांझे में फंसकर घायल हो रहे हैं।

इस आक्रोश और चिंता से प्रेरित होकर किलर मांझा प्रतिबंध अभियान समिति ने शुक्रवार से शहर में एक जोरदार पोस्टर अभियान शुरू किया है। लाल-पीले रंग के इन प्रभावशाली पोस्टरों पर बड़े अक्षरों में लिखा है, प्रतिबंधित मांझा- मौत का फंदा और नायलॉन धागा/प्लास्टिक धागा/सिंथेटिक मांझा पूर्ण प्रतिबंधित। पोस्टरों में घायल गले की तस्वीरें लोगों को इस खतरे के प्रति सचेत कर रही हैं।

समिति के संयोजक और अधिवक्ता अतुल सिंह ने अपने साथियों आशीष शुक्ल, विराज ठाकुर, सुधांशु सिंह, डॉ. अब्बासी, दिव्यप्रकाश सिंह, अंकित यादव सहित अन्य के साथ सड़कों पर उतरकर चौराहों, बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर चिपकाए। उन्होंने कहा कि शिक्षक संदीप तिवारी जैसे निर्दोष व्यक्ति की मौत ने हमें मजबूर किया है कि अब जनता स्वयं जागरूक हो। समिति लोगों से अपील करती है कि प्रतिबंधित पतंग धागा न बेचें, न खरीदें और न ही उपयोग करें। केवल सूती धागे का उपयोग करके पतंगबाजी के आनंद को सुरक्षित बनाएं। प्रतिबंधित मांझे के उल्लंघन पर 5 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव