लोकसभा चुनाव से पूर्व मालिकाना अधिकार नहीं मिला तो भाजपा का होगा विरोध
--43 वर्षों से लम्बित समस्याः श्रम विभाग के खिलाफ धरना प्रदर्शन
प्रयागराज, 11 फरवरी (हि.स.)। नैनी, प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ समेत उप्र के कई जिलों के लगभग डेढ़ करोड़ मज़दूरों को उनके आवासों का मालिकाना अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर आज मानस पार्क, श्रमिक बस्ती, नैनी में धरना-प्रदर्शन के माध्यम से विरोध व्यक्त किया गया।
धरना-प्रदर्शन में शामिल आंदोलनकारियों ने सरकार से मांग किया है कि पिछले 43 वर्षों से लम्बित उत्तर प्रदेश औद्योगिक श्रमिक बस्तियों के मालिकाना अधिकार की समस्या का निराकरण लोकसभा चुनाव के पहले किया जाए। अन्यथा इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग बीजेपी सरकार का विरोध करेंगे। श्रमिक बस्ती समिति के सचिव विनय मिश्र ने आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश श्रम विभाग के तानाशाही पूर्ण रवैये के कारण यह मामला अधर में लटका हुआ है। केंद्र सरकार ने 1978 में मालिकाना आदेश दिए जाने का आदेश जारी किया था। देश के सभी राज्यों ने इन कॉलोनियों के आवासों का मालिकाना अधिकार उसमें रहने वाले लोगों को दे दिया। लेकिन उत्तर प्रदेश श्रम विभाग जानबूझ कर इस मामले को लटकाए हुए हैं। श्रम विभाग के तानाशाही पूर्ण रवैये के कारण पूरे प्रदेश की कॉलोनियों में रहने वाले लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस सम्बंध में समिति का गठन किया है। पहले भी कई बार समितियां गठित हो चुकी है। लेकिन धरातल पर कोई ठोस काम नहीं हुआ। समिति के सचिव ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उत्तर प्रदेश श्रमिक कॉलोनियों की समस्या का शीघ्र निराकरण नहीं किया गया तो इसके गम्भीर परिणाम होंगे और पूरे उत्तर प्रदेश के समस्त मजदूर, किसान, नौजवान छात्रों द्वारा सरकार के इस लापरवाही का विरोध किया जाएगा।
वक्ताओं ने कहा कि नैनी में मजदूरों के लिए बनाई गई कॉलोनी में 42वीं वाहिनी पीएसी के लोग जबरन कब्जा करके यहां स्थाई निर्माण कर रहे हैं। जिससे स्थानीय जनता में भारी रोष व्याप्त है। पीएसी के लोग श्रमिक कॉलोनी में लोगों के घरों के सामने कूड़ा फेंक कर अभद्रता कर रहे हैं। कॉलोनी में गंदगी फैला रहे हैं। प्रधानमंत्री के सफाई अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कई ट्रक कचरा बच्चों के खेलने वाले राजकीय श्रम हितकारी पार्क के मैदान में फेंक दिया गया है। कूड़े के ढेर में आग लगा देने के कारण धुआं उठता है। जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है।
घोर आश्चर्य की बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के आदेश की अवहेलना की जा रही है और उप्र श्रम विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेश के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आंदोलन के संयोजक श्रमिक बस्ती समिति के सचिव विनय मिश्र ने कहा है कि मालिकाना अधिकार दिए जाने के लिए शासन ने प्रदेश स्थित औद्योगिक श्रमिक बस्तियों को बेचने का निर्णय लिया था।
1995 में बिक्री प्रक्रिया शुरू भी की गई। लेकिन श्रम विभाग के अधिकारियों ने साजिश रची, बिक्री प्रक्रिया को रुकवा दिया। जिसकी वजह से प्रदेश के लाखों लोग आज भी मालिकाना हक से वंचित है। विनय मिश्र ने कहा कि मालिकाना अधिकार के लिए नैनी में आंदोलन चल रहा है। जब तक समस्या का समाधान नहीं होगा श्रमिक बस्ती के निवासियों का आंदोलन चलता रहेगा। इस दौरान सभाजीत यादव, प्रभु दयाल यादव, उमानंद मिश्र, सत्येंद्र यादव, उमेश कुशवाहा, गुड्डू राय, आनंद सिंह, जगबरन सिंह, मोहम्मद शाहिद, अजमत हुसैन, विनय मिश्र, जवाहर यादव आदि लोग उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन