बंदियों के अपराध सिद्ध होने के पूर्व सौदेबाजी वार्ता कर सजा कम कराएं अभिभावक
- जिला कारागार में विधिक सहायता से सन्दर्भित जागरूकता शिविर
मीरजापुर, 01 मार्च (हि.स.)। जनपद न्यायाधीश अनमोल पाल के निर्देशन पर जिला कारागार में विचाराधीन बंदियों के हितार्थ उन्हें विधिक सहायता से सन्दर्भित जागरूकता शिविर कार्यकम का शुभारम्भ शुक्रवार को अपर जनपद न्यायाधीश व सचिव डीएलएसए लाल बाबू यादव ने किया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचि व अपर जनपद न्यायाधीश लालबाबू यादव ने जेल में उपस्थित विचाराधीन एवं दोषसिद्ध बंदियों को बताया कि यदि न्यायालय द्वारा किसी भी बंदी को सजा होती है तो वह निजी अथवा जेल के माध्यम से अपनी अपील कर सकता है। कोई भी बंदी अपने सजा को कम कराने के लिए प्ली बारगेनिंग विधि द्वारा सजा के सन्दर्भ में सम्बन्धित न्यायालय से प्ली बारगेनिंग कर सकता है। इस प्ली बारगेनिंग कानून से विचाराधीन बंदियों के ट्रायल केसों में लाभ प्रदान किया जाता है। बंदियों के अपराध सिद्ध होने के पूर्व अभियुक्त को रिहा करने के लिए अभिभावक वार्ता कर सजा कम किया जा सकता है। इस विधि पर कार्यवाही के लिए अभियुक्त को न्यायालय के समक्ष एक आवेदन मय शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत करना होगा।
अभिभावक सौदेबाजी विधि का प्राविधान सात वर्ष से कम सजा में लागू होगा। उन्होंने बताया कि गरीब व निर्धन बंदी जो मुकदमें में पैरवी के लिए अधिवक्ता करने में असमर्थ हैं उन्हे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से पैनल लायर नियुक्त किया जाता है। उन्होंने शिविर में उपस्थित बंदियों से उनकी समस्याओं को सुना और खाना, दवा, इलाज आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि बंदियों के समस्याओं का निदान त्वरित किए जाएंगे।
बंदी पैनल लायर के माध्यम से कराएं मुकदमे की पैरवी
जेलर अरूण कुमार मिश्र ने उपस्थित जनों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बंदियों को बताया कि जो भी गरीब निर्धन बंदी अपने मुकदमे में पैरवी नहीं करा पा रहा है, वह एक प्रार्थना पत्र राईटर-पीएलवी के माध्यम से प्रस्तुत करें ताकि न्यायालय से अविलम्ब पैनल लायर के माध्यम से मुकदमे की पैरवी कराई जाए और दोषसिद्ध बंदी अपने सजा के सन्दर्भ में प्ली बारगेनिंग विधि के माध्यम से सजा में मोलभाव करने की विधिक प्रकियानुसार विचाराधीन बन्दियों को सजा में काफी हद तक न्यायालय द्वारा रियायत मिल जाती है। डिप्टी जेलर स्मिता भाटिया, उप जेलर सुमन रानी, विजय शंकर दूबे, ज्ञानेन्द्र स्वरूप दूबे ने बंदियों को विस्तृत विधिक जानकारी दी।
हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/मोहित