उप्र में ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा 'पहल' की हुई शुरुआत, मुख्य सचिव ने शुभारम्भ किया
-अभी प्रदेश के 10 सरकारी स्कूलों में शुरु हुआ कार्यक्रम, भविष्य में 40 हजार स्कूलों में होगी व्यवस्था
-आईआईटी कानपुर के सहयोग से माध्यमिक शिक्षा विभाग ने तैयार किया गया है कार्यक्रम
लखनऊ, 15 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से योगी सरकार ने सोमवार को ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा 'पहल' कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अभी यह व्यवस्था 10 सरकारी स्कूलों में शुरु हुई है, बाद में 40 हजार स्कूलों में यह व्यवस्था प्रारम्भ करने की योजना है।
प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने आज सरोजनीनगर स्थित राजकीय यूपी सैनिक इण्टर कॉलेज से ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा 'पहल' कार्यक्रम का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा आईआईटी कानपुर के सहयोग से तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 10 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जायेगी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि ऑनलाइन ग्रामीण शिक्षा 'पहल' एक नई और अच्छी शुरुआत है। इन कक्षाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी विज्ञान एवं गणित से सम्बन्धित नवीनतम जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश का ग्रोथ इंजन बनने वाला है, इस ग्रोथ इंजन को ताकत प्रदेश के बच्चे देंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि सरकारी स्कूली बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जाए, जिससे छात्र एक स्तम्भ के रूप में देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें। मुख्य सचिव ने बताया कि टेक्नोलॉजी के माध्यम से आज उत्तर प्रदेश में 10 सरकारी स्कूलों में निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षा शुरू की गई, आगामी दिनों में 40 हजार स्कूलों में यह व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ट्रिपल एस (स्किल, स्केल और स्पीड) का मंत्र दिया था, पहले आप सीखिए, स्केल-अप करिए और फिर स्पीड के माध्यम से सभी लोगों तक लाभ पहुंचाइये। यह तभी संभव होगा जब हम टेक्नोलॉजी का प्रयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान डिजिटल टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया गया। बच्चों ने डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से घर बैठकर पढ़ाई की। वर्ष 2020 में नई शिक्षा नीति लागू की गई, नई शिक्षा नीति में आमूलचूल परिवर्तन हुआ।
श्री मिश्र ने कहा कि नवीन तकनीक व 'निपुण' कार्यक्रम के माध्यम प्राइमरी स्कूल की तस्वीर बदल गई है। प्राइमरी स्कूल में बच्चों को अध्यापकों द्वारा प्रैक्टिकल के माध्यम शिक्षा से दी जा रही है, जिससे अब बच्चे रटने के स्थान पर विषय को समझकर अंगीकार कर लेते हैं। कायाकल्य कार्यक्रम के तहत सभी प्राइमरी विद्यालयों में प्राइवेट स्कूल की भांति सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही हैं। आज सभी प्राइमरी स्कूल में बैठने के लिये सीट, स्मार्ट बोर्ड, शौचालय और तमाम सारी चीजें प्रदर्शित हैं, जो उन्हें जानना चाहिये। इसी प्रकार मिशन अलंकार के माध्यम से इण्टरमीडिएट कॉलेजों का पूरा-पूरा कायाकल्य हो रहा है।
इस मौके पर मुख्य सचिव ने स्मार्ट क्लास का अवलोकन किया। साथ ही उन्होंने हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये किये जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा आईआईटी कानपुर की टीम का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया।
मुख्य सचिव ने कहा कि आईआईटी कानपुर के माध्यम से प्रारम्भ किये गये नवाचार के माध्यम से प्रदेश के 10 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में ग्रामीण विद्यार्थियों को ऑनलाईन शिक्षण की व्यवस्था की शुरूआत की गई है। आईआईटी कानपुर के सहयोग से तैयार किये गये ओआरईआई (ऑनलाइन रूरल एजुकेशन इनीशिएटिव) कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा-9 से कक्षा-12 तक के विद्यार्थी लाभान्वित हो सकेंगे। इस कार्यक्रम का प्रारम्भ वर्ष 2018 में बीटेक के छात्रों के एक समूह द्वारा जनपद कानपुर नगर के एक गांव में प्रारम्भ किया गया था। बाद में यह कार्यक्रम श्री राम जानकी इण्टर कॉलेज, बिठूर, कानपुर नगर तथा भारतीय ग्रामीण विद्यालय, महोना, लखनऊ में विस्तारित किया गया।
यू-ट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध रहेंगी कक्षायें
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आईआईटी कानपुर के वालिन्टियर्स के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के कक्षा-9 से कक्षा-12 तक के विद्यार्थियों का विज्ञान तथा गणित की विश्व स्तरीय कक्षायें उपलब्ध कराना है। यह कक्षायें ऑनलाईन माध्यम से संचालित की जायेंगी। इन कक्षाओं में विद्यार्थी इंटरएक्टिव माध्यम से शिक्षकों से प्रश्न भी पूछ सकेंगे। यह कक्षायें यू-ट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध रहेंगी, जिसे विद्यार्थी अवकाश के समय भी देख सकते हैं। कक्षाओं का माध्यम हिन्दी होगा। इन कक्षाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी विज्ञान एवं गणित से सम्बन्धित नवीनतम जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे। विद्यालय में इन कक्षाओं को समाहित करते हुये समय-सारिणी तैयार की जा रही है, जिससे विद्यालय के अधिकाधिक विद्यार्थी इस कार्यक्रम से लाभान्वित हो सकेंगे।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद, आईआईटी कानपुर से डॉ0 एस0संगल समेत कई वरिष्ठ अधिकारी व भारी संख्या में स्कूली छात्र उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/पीएन द्विवेदी/राजेश