किसी देश के विकसित होने में उसकी मातृभाषा का प्रयोग महत्वपूर्ण : प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह
- राजभाषा एवं विज्ञान व्याख्यानमाला का आयोजन भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद
प्रयागराज, 13 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.) पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र में पाँचवी राजभाषा एवं विज्ञान व्याख्यामाला के साथ हिन्दी पखवाड़े का शुभारम्भ शुक्रवार को हुआ। प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि किसी देश के विकसित होने में उसकी मातृभाषा का प्रयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
बतौर मुख्य अतिथि इविवि, हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने देश में बोली जाने प्रत्येक भाषा का सम्मान करने एवं हिन्दी के समावेशी स्वरुप को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
विज्ञान प्रसार में राजभाषा हिन्दी का सामर्थ्य विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने देश के विकास में भाषा की भूमिका को अत्यन्त महत्वपूर्ण बताया तथा वैज्ञानिक अनुसन्धान के लाभ को जनसामान्य तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों से हिन्दी लेखन को अपनाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अनुभा श्रीवास्तव, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि स्वदेशी भाषा हिन्दी का प्रयोग करके शिक्षित एवं सशक्त भारत का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि शासकीय कार्यों में हिन्दी का प्रयोग अति आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन शोध अध्येता स्वाती प्रिया ने किया। अन्त में वरिष्ठ वैज्ञानिक आलोक यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रख्यात रंग निदेशक एवं समालोचक प्रवीण शेखर सहित केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अनीता तोमर, डॉ.कुमुद दूबे, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ. एस.डी. शुक्ला, तकनीकी अधिकारी रतन कुमार गुप्ता, तकनीकी सहायक धर्मेन्द्र कुमार तथा कार्यालय के हरीश कुमार, अम्बुज कुमार के साथ विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत शोध छात्र आदि उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र