अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण सनातन धर्म का पुनरुत्थान : शंकराचार्य वासुदेवानंद
-अभी भी तोड़े व लूटे गये मठ मन्दिरों की पहचान व पुनर्निर्माण का कार्य बाकी
प्रयागराज, 18 दिसम्बर (हि.स.)। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का यह निर्माण सनातन धर्म का पुनरुत्थान है। हालांकि अभी भी ऐसे तोड़े व लूटे गये मठ मन्दिरों की पहचान व पुनर्निर्माण का कार्य बाकी है।
यह बातें श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने अलोपीबाग स्थित स्वामी शान्तानंद सरस्वती सभागार में आयोजित नौ दिवसीय आराधना महोत्सव में सोमवार को अपने आशीर्वचन में सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि विधर्मियों ने आतंक,संताप व हमलों से सनातन धर्म,संस्कृति,संत महात्माओं,अनुयाइयों एवं मठ मंदिरों को नष्ट किया और लूटा। सनातन धर्मानुयाइयों की सुरक्षा व अस्तित्व खतरे में पड़ गई। अंत में सनातन धर्मानुयाइयों ने एक साथ जुटकर इसके विरुद्ध घोर संघर्ष किया। तोड़े गए मठ मंदिरों के जीर्णोद्धार व नव-निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई है। अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि स्थल पर भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है।
उन्होंने बताया कि ज्योतिष्पीठ के पूर्वाचार्य जगद्गुरु शंकरचार्यों की स्मृति में प्रतिवर्ष आराधना महोत्सव आयोजित होता है। आराधना महोत्सव में सबसे पहले शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने भगवान आदि शंकराचार्य चौराहे पर भगवान शंकराचार्यजी की पूजा आरती करके प्रसाद वितरित किया।
कथावाचक पूज्य व्यास जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामानंददास,रामकुंज आश्रम, रामघाट अयोध्या ने श्रीमद्भागवतकथा का महत्व विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से भगवान का साक्षात्कार होता है। परमात्मा ही आनंद का स्वरूप है। इससे आत्मा परमात्मा के प्रति अनुरक्त हो जाती है। वेदपाठी विद्वानों द्वारा प्रातःकाल वेदी रचना व देवताओं के आवाह्न पूजन के बाद प्रातः 7 से 12 बजे तक रामायण नवाह्न पाठ अपराह्न 2 बजे से 6 बजे तक श्रीमद्भागवत कथा, सायं 7 से 9 बजे तक रूद्राभिषेक रात्रि 8 से 11 बजे तक रासलीला कार्यक्रम है। दिल्ली से आए राजेश राय ने माल्यार्पण करके व्यासजी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
शंकराचार्य के प्रवक्ता ओकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि यह कार्यक्रम 26 दिसम्बर तक चलेगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दंडी संन्यासी विनोदानंद सरस्वती, स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, ब्रह्मदत्तपुरी, आचार्य विपिन, आचार्य मनीष, ब्रह्मचारी जितेन्द्र, पंडित एसपी त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त