माता-पिता भविष्य के लिए शिक्षित एवं संस्कारित पीढ़ी तैयार करें : शंकराचार्य वासुदेवानंद

 


प्रयागराज, 25 दिसम्बर (हि.स.)। श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने श्रीमद्भागवत कथा में अपने आशीर्वचन में सोमवार को कहा कि भगवान राम और कृष्ण की जीवनचर्या से नई पीढ़ी को माता-पिता और गुरु के प्रति समर्पित भाव से सम्मान व सेवा सीखना चाहिए। देश, काल एवं परिस्थितियों के अनुसार भी माता-पिता का कर्तव्य है कि ऐसी शिक्षित व संस्कारित पीढ़ी तैयार करें जो धर्म व राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित भाव से काम करें।

अलोपीबाग में आयोजित नौ दिवसीय आराधना महोत्सव में शंकराचार्य ने कहा कि भगवान राम के लिए गोस्वामीजी ने लिखा है कि ‘प्रातकाल उठि के रघुनाथा, मातु, पिता, गुरु, माता।’ पिता को समान भाव से मत्था टेक कर प्रणाम करना चाहिए। आज सनातन धर्म व भारत राष्ट्र को विकास के मार्ग पर बढ़ते-चढ़ते देख कर विरोधी तत्व ईर्ष्यालु व आक्रामक हो रहे हैं। ऐसी स्थितियों से नई पीढ़ी को ही निपटना होगा।

श्रीमद्भागत कथा में कथा व्यास जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्रीरामानन्ददास, श्रीराम कुन्ज अयोध्या ने भगवान कृष्ण के रास लीला का विभिन्न समकालीन ग्रंथों को जोड़ते हुए बड़ा ही रोचक एवं मनमोहक प्रसंगों का संगीतमय गीत व भजनों के साथ वर्णन किया।

इसके पूर्व शंकराचार्य वासुदेवानंद ने व्यास मंच पर लगे पूर्व ज्योतिष्पीठाधीश्वर पूर्व जगद्गुरू शंकराचार्यों के चित्र पर माल्यार्पण कर उनकी पूजा अर्चना किया। मुख्य रूप से जगद्गुरू घनश्यामाचार्य, तीर्थ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती, संत बंगाली बाबा, ब्रह्मानंद सरस्वती, शंकरानंद, ब्रह्मदत्तपुरी, दण्डी संयासी विनोदानंद, पं. शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य विपिन, आचार्य अभिषेक मिश्र, आचार्य मनीष, जितेन्द्र, राजेश राय दिल्ली, आलोक कनकने, दीप्त कुमार पांडे कानपुर, सीताराम शर्मा जयपुर, लीला शर्मा पंजाब आदि ने कार्यक्रम में भाग लिया। ज्योतिष्पीठ के प्रवक्ता ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि अन्तिम दिन 26 दिसम्बर को सारे कार्यक्रम पूर्ववत चलेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित