भारतीय चिंतन पर आधारित हो आचार्य जीवनशैली : यतीन्द्र

 




- शिक्षा के साथ ही भैया-बहनों में कौशल विकास जागृत हो : हेमचंद्र

प्रयागराज, 18 जून (हि.स.)। हम सभी ऐसी व्यवस्था से जुड़े लोग हैं जो देश में संकल्प लेकर विद्या के क्षेत्र में काम करते हैं। आचार्य केवल पद नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की एक शैली है। अतः हम सभी को आचार्यत्व के अनुरुप अपनी वृत्ति रखनी चाहिए तथा उसी अनुरुप अपने जीवन को ढालना चाहिए।

उक्त विचार बतौर मुख्य वक्ता विद्या भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र ने मंगलवार को ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज सिविल लाइन्स में आयोजित दस दिवसीय नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के दूसरे दिन व्यक्त किया।

उन्होंने आचार्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय चिन्तन सर्वव्यापी है, यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ईश्वरमय है और ईश्वर ही इसे चलाता है, हम सभी को ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। आचार्य को अपने जीवन में आये हुये छात्र-छात्राओं के जीवन का निर्माण करना चाहिए तथा निःस्वार्थ भाव से एक साधक की भॉति साधना पथ पर चलकर जीवन भर शिष्य को ज्ञान प्रदान करना चाहिए।

विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार ने बताया कि दस दिनों तक चलने वाले इस नवचयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग में प्रतिदिन विभिन्न सत्रां जैसे वैचारिक सत्र, शैक्षिक सत्र, क्रियात्मक सत्र, चर्चात्मक सत्रों में आचार्य आचार्यों को विभिन्न विद्वतजनों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। इस अवसर पर सह क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ0 राम मनोहर, क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय तथा काशी सम्भाग निरीक्षक गोपाल तिवारी उपस्थित रहे।

सात दिवसीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग का हुआ शुभारम्भ

इसी क्रम में ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज गंगापुरी रसूलाबाद में आज से प्रारम्भ होकर 24 जून तक चलने वाले प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग का शुभारम्भ हुआ। क्षेत्रीय संगठन मंत्री भारतीय शिक्षा समिति पूर्वी उप्र हेमचंद्र ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप हमें ऐसी शिक्षा प्रदान करना है जिससे शिक्षा के साथ ही भैया-बहनों में कौशल विकास जागृत हो।

क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने बालक के सर्वांगीण विकास और हमारी संकल्पना विषय पर प्रथम दो सत्रों में पीपीटी के माध्यम से काशी प्रांत के विभिन्न विद्यालयों से आए प्रधानाचार्यों को प्रशिक्षण देते हुए कहा कि विद्या भारती की संकल्पना है उसके अनुरूप भैया-बहनों का सर्वांगीण विकास किस प्रकार हो, उसके लिए शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, भौतिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विकास की आवश्यकता है।

द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री विद्या भारती यतीन्द्र ने भारतीय शिक्षा दर्शन का स्वरूप विषय पर सभी प्रधानाचार्यों से कहा कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ-साथ भारतीय शिक्षा दर्शन एवं संस्कृति पर भी बल देने की आवश्यकता है।

माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के उपसचिव अतुल सिंह, भारतीय शिक्षा समिती पूर्वी उत्तर प्रदेश के मंत्री शरद गुप्त, प्रदेश निरीक्षक भारतीय शिक्षा समिति काशी प्रांत शेषधर द्विवेदी व विद्यालय के प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र उपस्थित रहे। प्रशिक्षण वर्ग के संयोजक सरस्वती विद्या मंदिर गौरीगंज अमेठी के प्रधानाचार्य अवधेश सिंह ने प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग की उपादेयता और क्रियान्वयता पर अपने विचार रखे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/दीपक/मोहित