नेताजी सुभाष चन्द्र बोस शौर्य, वीरता, भद्रता एवं सामर्थ्य के महानायक : इंद्रेश कुमार

 


- जयंती पर अर्पित की गयी फूलों की 23 किलो की माला, 23 दीपों से हुई नेताजी के प्रतिमा की महाआरती

वाराणसी,23 जनवरी (हि.स.)। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने लमही स्थित सुभाष मंदिर में नेताजी की प्रतिमा के समक्ष मत्था टेका और 23 किलोग्राम की फूलों की माला प्रतिमा पर समर्पित की।

इसके बाद विशाल भारत संस्थान के कार्यकर्ताओं ने प्रतिमा की महाआरती के बाद 23 नारियल फोड़कर और 23 लड्डू का भोग लगाकर भारत के उस महानायक को सलामी दी जिसने अखण्ड भारत का स्वप्न देखा था। जयंती पर संस्थान की ओर से आयोजित सुभाष महोत्सव के चौथे दिन कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान इंद्रेश कुमार ने चिकित्सा क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिये होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ० मधु गोस्वामी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय चिकित्सा सेवा पुरस्कार–2024 से पुरस्कृत किया।

इस अवसर पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि भगवान श्रीराम भद्रता एवं सामर्थ्य के प्रतीक हैं। आधुनिक समय में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस शौर्य, वीरता, भद्रता एवं सामर्थ्य के महानायक हैं और यह गुण उनको भगवान राम से ही मिले हैं। आजाद हिन्द सरकार एवं आजाद हिन्द फौज की स्थापना भारत की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित हुई।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि इतिहासकारों ने सुभाषचंद्र बोस के योगदान का भले ही सही मूल्यांकन नहीं किया हो, लेकिन आज जन-जन यह बात कहने लगा है कि नेताजी की वजह से ही हमें आजादी मिली है। वो भगवान राम की तरह अखण्ड भारत बनाना चाहते थे और रामराज्य की स्थापना चाहते थे।

कार्यक्रम में संस्थान के अध्यक्ष डॉ राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि “विश्व परिदृश्य में भारत को अंग्रेज गुलामों की दृष्टि से देखते थे और भारतीयों को शक्तिहीन समझते थे, लेकिन नेताजी सुभाष ने आजाद हिन्द फौज बनाकर अंग्रेजों को द्वितीय विश्व युद्ध में न सिर्फ मोर्चे पर घेरा, बल्कि भारतीयों की ताकत का भी परिचय दिया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजों की नृसंशता का भी प्रचार किया जिससे दुनिया को अंग्रेजों के अत्याचार के बारे में पता चला। दुनिया के 09 देशों ने नेताजी को समर्थन दिया।

एटीएस के अधिकारी विपिन राय ने कहा कि सभी धर्मों से ऊपर राष्ट्रधर्म है और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रधर्म के प्रणेता हैं। कार्यक्रम में संस्थान के स्टेट चेयरमैन जय प्रताप सिंह,असम के चेयरमैन नूरुल हक, जम्मू कश्मीर के डॉ० अशफाक ने भी विचार प्रकट किया। संचालन संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ० अर्चना भारतवंशी,धन्यवाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ० निरंजन श्रीवास्तव ने दिया। कार्यक्रम में डॉ० कवीन्द्र नारायण, डॉ० नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, डॉ० मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, ज्ञान प्रकाश, नौशाद अहमद दूबे आदि की उपस्थित रहे।

सुभाष मंदिर में नेताजी की प्रतिमा की सुबह-शाम होती है आरती

विशाल भारत संस्थान के लमही स्थित सुभाष मंदिर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की सुबह-शाम आरती होती है और सलामी भी दी जाती है। संस्थान के सदस्यों के अनुसार 1943 में मित्र राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने वाली आजाद हिन्द सरकार के मुखिया और देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अब केवल महानायक नहीं, बल्कि लमही के सुभाष मन्दिर में पूजे जाने वाले परम पावन राष्ट्रदेवता हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित