विज्ञान भाषा को विभिन्न लोक भाषाओं से आत्मसात करने से लाभ : आचार्य सत्यकाम
- “प्रकृति, पर्यावरण एवं वन“ विषय पर राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी
प्रयागराज, 27 सितम्बर (हि.स.)। पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र, प्रयागराज एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी पखवाड़ा के अन्तर्गत शुक्रवार को “प्रकृति, पर्यावरण एवं वन“ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि उप्र राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सत्यकाम ने कहा कि विज्ञान की भाषा को विभिन्न लोक भाषाओं से शब्द आत्मसात करके सरलीकृत करने से ही लाभ होगा।
मुख्य अतिथि आचार्य सत्यकाम ने हिन्दी माध्यम से आयोजित कार्यक्रम की सराहना की तथा कहा यदि आपका संस्थान विज्ञान के क्षेत्र में किसी प्रकार की अध्ययन सामग्री तैयार करने का इच्छुक हो, जो विद्यार्थियों के हित में हो तो इसे विश्वविद्यालय के सर्टिफिकेट कोर्स में सम्मिलित किया जा सकता है।
मुख्य वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय, मीडिया एवं सम्पर्क विभाग के प्रो. धनंजय चोपड़ा ने बदलती दुनिया, बदलती प्रकृति और जन-जागरूकता पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाषा की गतिशीलता को रोकने का प्रयास न किया जाए।
केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान को जन सामान्य तक पहुंचाना आवश्यक है। जिसके लिए हिन्दी उपयुक्त माध्यम है। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अधिशासी सचिव डॉ.सन्तोष शुक्ला ने अकादमी द्वारा विज्ञान प्रसार के कार्यों का उल्लेख किया। केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं आयोजन सचिव डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया। विशिष्ट अतिथि अजय कुमार चौधरी सहायक निदेशक राजभाषा, भारत सरकार, गाजियाबाद ने कार्यालय में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने का आह्वान किया।
डॉ.उमेश कुमार सिंह, पर्यावरण विज्ञान विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा कृषि और मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव विषय पर तथा डॉ.शैलेन्द्र राय, प्रोफेसर के. बनर्जी, वायुमण्डलीय महासागर अध्ययन केन्द्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय ग्रीष्म कालीन मानसून भविष्यवाणी की चुनौतियां और सम्भावनाएं विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। तकनीकी व्याख्यान में डॉ. मृदुला त्रिपाठी, प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग, सीएमपी डिग्री कॉलेज तथा डॉ. पूनम शुक्ला, सहा. प्रोफेसर, हेमवती नन्दन बहुगुणा महाविद्यालय के साथ केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुमुद दूबे ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, वनस्पति विज्ञान विभाग के एसो. प्रोफेसर डॉ.अश्वनी कुमार तथा शुआट्स वानिकी महाविद्यालय के एसो. प्रोफेसर डॉ. सत्येन्द्र नाथ ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। तकनीकी व्याख्यान में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर, आलोक यादव एवं डॉ अनुभा श्रीवास्तव के साथ प्रेम कुमार पटेल, डॉ. आदिनाथ, ने भी विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर केन्द्र द्वारा प्रकाशित वृक्षारोपण तकनीक, कृषकों की आर्थिक समृद्धि हेतु चन्दन, कृषिवानिकी में उपयोगी मीलिया डूबिया, कृषकों की आर्थिक समृद्धि हेतु सहजन की खेती तथा महोगनी के साथ कृषि वानिकी प्रजातियां एवं प्रबन्धन विषय पर आधारित अनुसंधान पुस्तिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अनीता तोमर ने किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र