एक्यूप्रेशर संस्थान से स्वास्थ्य की दिशा में अलग राह मिली : नरेन्द्र सिंह गौर
-17 केन्द्र संचालक हुए पुरस्कृत
प्रयागराज, 25 नवम्बर (हि.स.)। एक्यूप्रेशर संस्थान के राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि पूर्व शिक्षामंत्री डॉ. नरेन्द्र कुमार सिंह गौऱ ने कहा कि एक्यूप्रेशर संस्थान के कार्य से न सिर्फ स्वास्थ्य की दिशा में एक अलग राह मिली है, बल्कि प्रयागराज का गौरव विश्व पटल तक फैला है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन ने जैसे पूरे विश्व को कुछ प्रतिनिधियों के माध्यम से इस प्रांगण में समेट लिया है। इस विद्या के प्रकाश को लेकर वे वापस जाएंगे और विश्व को नई ऊर्जा प्रदान करेंगे।
प्रसिद्ध कॉर्डियोलॉजी (आयरलैण्ड) के ब्रजेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि मैंने नजदीक से इसका प्रभाव व चमत्कार देखा है। ऐलोपैथी चिकित्सक होते हुए भी इसका उपचार लिया है और लेता रहूँगा। प्रो. प्रभात वर्मा ने स्पाइन की संरचना को तीन भागों में बांटकर उपचार सूक्ष्मतम स्तर पर कैसे पहुँचे, इस विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. राम कुमार शर्मा ने स्पाइन की संरचना में क्या परिवर्तन होने पर रोग प्रकट होता है। यह बताते हुए आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर से हुए उपचार के परिणामों के बारे में बताया।
दूसरे सत्र में प्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट डॉ. दीपक गुप्ता ने ऐलोपैथिक विधा के महंगे होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब कोई राह नहीं मिलती तब लोग एक्यूप्रेशर की शरण में आते हैं, लेकिन आवश्यक है कि लोग इसके बारे में जाने और आरम्भ में ही इनके उपचार का लाभ लें। प्राचार्य ए.पी सिंह ने डॉ. गुप्ता का स्वागत करते हुए उन्हें एक्यूप्रेशर परिवार का सदस्य बताया। ए.के द्विवेदी ने धन्यवाद् ज्ञापन के दौरान कहा कि डॉ दीपक गुप्ता का मार्गदर्शन हमारी विधा को हमेशा अधिकाधिक वैज्ञानिक बनाने में मदद करता है। अध्यक्ष जे.पी अग्रवाल ने स्पाइन के रोग, पार्किन्सन, मस्तिष्क आदि रोगों के सरलतम उपचार प्रस्तुत किया।
मीडिया प्रभारी उर्वशी उपाध्याय ने बताया कि शनिवार का कार्यक्रम एक्यूप्रेशर संस्थान से जुड़कर कार्य करने वाले देश भर से आये केन्द्र संचालन का पुरस्कार 17 केन्द्र संचालकों को दिया गया। सम्मेलन में लगभग 1150 लोग शामिल रहें। जिनमें एस.के गोयल, रामकुमार शर्मा, प्रभात वर्मा, विशाल जायसवाल, सुनील मिश्रा, अभय, अनिल शुक्ला, गीता गर्ग और अर्चना त्रिवेदी, आर.एन गुप्ता, अंशु अग्रवाल, करन केसरवानी, पीयूष विश्वकर्मा, गोविन्द सिंह आदि प्रमुख थे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम