कानपुर को देखकर हम कह सकते हैं कि नमामि गंगे मिशन हुआ सफल : गजेन्द्र सिंह शेखावत
कानपुर, 16 फरवरी (हि.स.)। पिछले लगभग 9 वर्ष में प्रधानमंत्री में मां गंगा की अविरलता व निर्मलता के लिए किये कार्य के बाद,इस परिदृश्य को देखकर निश्चित रूप से नमामि गंगे मिशन सफल हुआ है, इस पर मोहर लगाई जा सकती है। कार्य के प्रारम्भ में जब माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता के सम्बन्ध में प्रश्न चिन्ह खड़े किए जाते तब कानपुर का सीसामऊ नाला इसका पिक्चर, व्यूजवल दिखाया जाता था, लेकिन सीसामऊ का नाला जो 14 करोड़ लीटर पानी रोज गंदा सीवरेज का गंगा में छोड़ता था, आज वो एक पिकनिक स्पाट जैसा बन गया है।
यह बात शुक्रवार को कानपुर पहुंचे केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने निरीक्षण करने के बाद कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित कराने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया और पिछले लगभग 09 साल एलाउसमेन्ट से लेकर अब तक व निरन्तर किए गए कार्य लगभग 30 हजार करोड़ से ज्यादा लागत के पानी के शोधन व इन्फ्रास्ट्रक्चर गंगा नदी की सहायक नदियों पर इस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर वेटलेन्ट का कन्जरवेशन, गंगा नदी के पूरे ईको सिस्टम को सुधारने के लिए समन्वित प्रयास नमामि गंगे मिशन के तहत हुये।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा कि 2014 में वाराणसी से चुनाव लड़ने के बाद प्रधानमंत्री ने माँ गंगा के सामने यह संकल्प व्यक्त किया था की माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित कराई जाएगी। माँ गंगा को अविरल व निर्मल बनाने के लिए पिछले 10 दशकों से जो आधी-अधूरी तैयारी से प्रयास किए गए थे उनका सार्थक परिणाम नहीं आया। प्रधानमंत्री ने कहा था कि माँ गंगा ने मुझे अपनी सेवा का अवसर प्रदान किया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित कराने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया और पिछले लगभग 09 साल एलाउसमेन्ट से लेकर अब तक व निरन्तर किए गए कार्य लगभग 30 हजार करोड़ से ज्यादा लागत के पानी के शोधन व इन्फ्रास्ट्रक्चर गंगा नदी की सहायक नदियों पर इस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर वेटलेन्ट का कन्जरवेशन, गंगा नदी के पूरे ईको सिस्टम को सुधारने के लिए समन्वित प्रयास नमामि गंगे मिशन के तहत हुये।
उन्होंने कहा कि कार्य के प्रारम्भ में जब माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता के सम्बन्ध में प्रश्न चिन्ह खड़े किए जाते तब कानपुर का सीसामऊ नाला इसका पिक्चर, व्यूजवल दिखाया जाता था, लेकिन आज वो सीसामऊ का नाला जो 14 करोड़ लीटर पानी रोज गंदा सीवरेज का गंगा में छोड़ता था, आज वो एक पिकनिक स्पाट जैसा बन गया है। कानपुर लेदर इण्ड्रस्टी विश्व विख्यात है लेकिन प्रापर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट न होने के कारण जो पुराना ट्रीटमेन्ट प्लान्ट था वह 9 डस्क् का था, उसकी शिथिलता के चलते यहाँ उद्योगों को सरकारों ने न्यायालयों ने आधे-अधूरी क्षमता से चलाने के निर्देश दिये थे या बन्द कर दी गयी थी। ये पुराना ट्रीटमेन्ट प्लान्ट भी प्रॉपर तरीके से ट्रीट नहीं कर पा रहा था। लगभग सवा छः सौ करोड की लागत का एशिया का सबसे बड़ा ट्रेनरी सेक्टर का ट्रीटमेन्ट प्लान्ट मा0 प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से कानपुर में बना, जिसमें 20 एमएलडी पानी को ट्रीट कर और उसको विश्वस्तरीय जो मानक है उस मानक में पानी को लाकर के और बाद में इससे निकलने वाले पानी को खेतों में सिंचाई के लिये भेजा जा रहा है। जहां पहले ट्रीटमेन्ट प्लान्ट न होने से जो जहरीला पानी टेनरी से जाता था वो जहरीला पानी गंगा जी में जाने से जलीय जीवन बिलकुल समाप्त हो गया था। कानपुर में ऐसा कहा जाता था कि यदि गंगा में हाथ की अंगुलियों को डालकर निकालो तो उसका रंग बदल जाता है। नदी में रहने वाले जीव का यहां रहना संभव नहीं था। लेकिन आज जल जीवों की संख्या में वृद्धि हो रही है और मछुआ समाज का भी कल्याण हो रहा है।
प्रधानमंत्री के प्रयासों से माँ गंगा की अविरलता व निर्मलता जिस प्रकार स्थापित हुयी है मैं गर्व से कह सकता हूँ कि 2025 तक गंगा नदी में एक बूंद अशुद्ध जल नहीं गिरेगा, कुम्भ आने तक यह परिस्थिति कर देंगे, कुम्भ आने वाले श्रद्धालु माँ गंगा के अविरल व निर्मल जल से स्नान कर सकेंगे। निरीक्षण के समय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ उप्र के मंत्री जल शक्ति स्वतंत्र देव सिंह तथा विभागीय अधिकारी एवं जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ राम बहादुर/बृजनंदन/पदुम नारायण