नागपंचमी : नागदेवता के चित्र की घर—घर पूजा, सपेरों ने टोकरी में कराया दर्शन
—मंदिरों और शिवालयों में लोगों ने दूध और लावा चढ़ाया,शिवलिंग का जलाभिषेक भी
वाराणसी, 09 अगस्त (हि.स.)। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नागपंचमी पर शुक्रवार को बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में नागदेवता की पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना हुई। अलसुबह बारिश के बीच घर-घर नाग देवता और भगवान शिव की पूजा हुई। पर्व पर विधि विधान से नागदेवता के चित्र की पूजा कर उन्हें प्रतीक रूप से पंचामृत, घृत, कमल, दूध, लावा अर्पित किया गया।
इसके बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर सहित छोटे-बड़े शिवालयों में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव और उनके गले में लिपटे सर्प देवता को बेल पत्र, धतूरा, फूल, हल्दी चावल, दूध आदि चढ़ाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की। जिले के ग्रामीण अंचल में भी नागदेव की पूजा की गई। पर्व पर कई घरों में लोगों ने अपने परिजनों की कालसर्प योग की शांति के लिए नाग देवता सहित ग्रह राहु-केतु की पूजा कराई। घरों में पकवान बनाकर नागदेवता को भोग लगाया गया। पर्व पर सपेरे बारिश के बीच टोकरी में नाग लेकर गली-गली लोगों को दर्शन करा कर दक्षिणा मांगते रहे।
इसके पूर्व पर्व पर अलसुबह छोटे गुरु का, बड़े गुरु का, नाग लो भई नाग लो.... की हांक लगाकर नाग देवता का चित्र बेचने के लिए हर गली मोहल्ले में बच्चे और किशोर घूमते रहे। लोग बच्चों से नाग देवता की तस्वीर,लावा खरीद पूजा पाठ करने में जुटे रहे। पर्व पर परम्परानुसार दोपहर में मल्लयुद्ध, दंगल, महुवर का खेल देखने के लिए लोग जुटे रहे। शहर और ग्रामीण अंचल के अखाड़ों में युवा और पुरनिये पहलवान मिट्टी की पूजा पाठ के बाद कुश्ती और अन्य शारीरिक दमखम प्रतियोगिता में अपनी साधना का झलक दिखाते रहे।
युवा और किशोर वय पहलवान दमकशी और मुश्कों को गरमाने के लिए अखाड़ों में दण्ड बैठक मार रहे थे। यह नजारा नगर के प्रमुख अखाड़ा रामसिंह, गयासेठ, पंडाजी का अखाड़ा, अखाड़ा मानमंदिर, बबुआ पांडेय अखाड़ा, अखाड़ा बड़ा गणेश, अखाड़ा जग्गू सेठ, अखाड़ा रामकुंड, लालकुटी व्यायामशाला, कालीबाड़ी, अखाड़ा गैबीनाथ, अखाड़ा तकिया सहित सभी छोटे बड़े अखाड़ों में दिखा।
नागकूप पर दर्शन पूजन के लिए उमड़ी भीड़
नागपंचमी पर्व पर परंपरानुसार जैतपुरा के नागकूप स्थित नागेश्वर महादेव के दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से ही उमड़ रही है। भोर में मंगला आरती के बाद आम भक्तों के लिए मंदिर का पट खोल दिया गया। पट खुलते ही दरबार में लावा-दूध चढ़ाने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। सुबह भगवान नागेश्वर महादेव की पूजा बिल्वार्चन और दुग्धाभिषेक से की गई। शाम को इसी स्थान पर शास्त्रार्थ के लिए संस्कृत के विद्वानों का जमावड़ा होगा। नागकूप शास्त्रार्थ समिति की ओर से आयोजित शास्त्रार्थ सभा में संस्कृत के विद्वान शास्त्रार्थ में शामिल होंगे। उल्लेखनीय है कि नागकूप पर शेषावतार महर्षि पतंजलि ने अपने गुरु महर्षि पाणिनी के व्याकरण अष्टाध्यायी पर महाभाष्य रचा था। योग सूत्र की रचना उन्होंने कभी इसी स्थान पर की थी, यहां नाग पंचमी पर शास्त्रार्थ की परंपरा का इतिहास है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / दिलीप शुक्ला