लखनऊ में गोमती तट पर माता सीता ने किया था विश्राम
लखनऊ, 30 जुलाई (हि.स.)। राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के तट पर माता सीता ने विश्राम किया था। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। इसमें उल्लिखित श्लोक ‘ततो वास मुपागम्य गौतमी तटे आश्रामे पुनारत्थाये गवनस्य वाल्मीकि आश्रामे’ इस बात को सिद्ध करता है। जूना अखाड़े के उपाध्यक्ष एवं श्रीबंदी माता मंदिर डालीगंज के महंत देवेंद्र पुरी ने बताया कि गोमती तट पर स्थित बंदी माता मंदिर का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। जहां माता सीता ने विश्राम किया था।
महंत भास्करपुरी ने बताया कि सात दिन का वार्षिक समारोह पूर्वज गुरुओं की स्मृति में हर वर्ष यहां होता है। ये सप्त दिवसीय अनुष्ठान ब्रम्हलीन श्री महंत कपिलेश्वर पुरी जी महाराज एवं सिद्ध संतों की स्मृति में होता है। सात दिन तक प्रतिदिन श्री शतचंडी महायज्ञ, श्रीमद्भागवत कथा, रासलीला, भंडारा, संत सम्मेलन अनवरत चलता रहेगा।
बंदी माता मंदिर डालीगंज के 42वें वार्षिकोत्सव में श्रद्धालुओं की देररात तक आवाजाही रही। मंगलवार को श्री बंदी माता की पूजा-अर्चना कर श्रद्धालुओं ने मंगलकामनाएं कीं। दिन में यज्ञशाला में यज्ञाचार्य पं. शिवानंदपुरी के सानिध्य में सप्तचंडी यज्ञ चला। संत-सम्मलेन में विभिन्न प्रांतों के साधु महात्माओं का मिलन हुआ। कथा वाचक रोली शास्त्री ने श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। पं नित्यानंद व साथी कलाकारों ने रासलीला के विभिन्न प्रसंग मंचित किए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की भावपूर्ण प्रस्तुति की। मथुरा के रासलीला कलाकारों ने पूरा वातावरण कृष्णमय कर दिया।
शाम को मुख्य मंच पर मंहत मनोहरपुरी के सानिध्य में श्रीमद्भावगत पूजन आरती हुई। मुख्य अतिथि पार्षद विनोद यादव,(हैदरगंज तृतीय) एवं दूरदर्शन केंद्र लखनऊ के प्रोग्राम प्रोड्यूसर अनुराग पांडेय को बंदी माता मंदिर अखाड़ा समिति के मुख्य महंत देवेंद्रपुरी, महंत मनोहरपुरी, महंत पूजापुरी ने स्वागत किया। इस दौरान भास्करपुरी, राजूपुरी, पुजारी सावनपुरी, पार्षद रणजीत सिंह, समाजसेवी राधा वर्मा, गौसेवक मुलायम सिंह, पुजारी मणि महेश्वर शिव मंदिर पारा के महंत सुरेशपुरी व अनेक निवासी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन यादव / पवन कुमार श्रीवास्तव