फिजूलखर्ची से बचने का संदेश देता डॉ. दीपाली व डॉ.सौरभ का गायत्री मंदिर में विवाह संस्कार

 




















झांसी, 23 नवम्बर(हि.स.)। हिन्दुओं में विवाह एक प्रकार का प्रमुख संस्कार है, जो पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिये एक समान है। यहां विवाह को धार्मिक बंधन एवं कर्तव्य समझा जाता है। विवाह का दूसरा अर्थ समाज में प्रचलित एवं स्वीकृत विधियों द्वारा स्थापित किया जाने वाला दाम्पत्य संबंध और पारिवारिक जीवन भी होता है। विवाह स्त्री व पुरुष के धार्मिक या कानूनी रूप से एक साथ रहने के लिये प्रदान की जाने वाली सामाजिक मान्यता है। वर्तमान परिवेश में शादी-विवाह समारोह में अधिक राशि को पानी की तरह बहाना एक फैशन सा हो गया है। कोई अपनी बेटी का विवाह जयपुर व खजुराहो के पांच सितारा होटल से करना पसंद करता है तो कोई सुदुर पिकनिक स्पॉट कहे जाने वाले नैनीताल और देश की राजधानी में अपने बच्चों की शादियां संपन्न कराने की होड़ में हैं। ऐसे अनावश्यक खर्च की होड़ सी मच गई है।

फिजूल खर्ची की इस दौड़ में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सादगी भरे अंदाज में इन महत्वपूर्ण संस्कारों को संपन्न कराकर समाज को एक संदेश देना चहाते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए झांसी महानगर में तुलसी व भगवान सालिगराम के विवाह उत्सव पर डॉ दीपाली सक्सेना और डॉ सौरभ सक्सेना ने भारतीय संस्कृति संस्कारों के अनुसरण में आदर्श विवाह कर अनावश्यक खर्च पर रोक लगाने का संदेश दिया।

जानकारी के अनुसार देवउठानी एकादशी और तुलसी व सालिगराम विवाह के अवसर पर गुरुवार को आतिया तालाब स्थित गायत्री मंदिर में आर्य कन्या इंटर कॉलेज से सेवानिवृत्त गोपालानंद सक्सेना की पुत्री डॉ. दीपाली सक्सेना और खातीबाबा नगरा निवासी धर्मपाल सक्सेना के पुत्र डॉ सौरभ सक्सेना ने दोनों परिवार के लोगों के साथ सादगीभरा आदर्श विवाह वैदिक रीति से संपन्न कराया। विवाह संस्कार आचार्य सुनीता तिवारी दीदी ने प्रेरणादाय गीतों एवं वैदिक रीति से संपन्न कराया। इस अवसर पर समाजसेवी ए के सोनी, अनुराग सक्सेना, विवेकानंद सक्सेना, राघव वर्मा, भानू तिवारी, प्रकाशानंद योगीराज, एच एन सक्सेना, दीपक सक्सेना आदि लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश