मेरुदंड विकार से परिणत हो जाते हैं कई गंभीर रोग : डा. रामकिशोर

 


कानपुर, 17 जून (हि.स.)। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के जरिये योगोत्सव पखवाड़े के तहत सोमवार को आयोजित कार्यशाला में मधुमेह, कमरदर्द, जोड़ों के दर्द, थायरायड, उच्च और निम्न रक्तचाप के रोगियों ने अपने रोग के अनुसार योग का अभ्यास किया।

योग के सहायक आचार्य डॉ रामकिशोर ने बताया कि गलत आसन के कारण वर्तमान समय में मेरुदंड संबंधी विकार अत्यधिक हो रहे हैं। देर तक खड़े रहने से अथवा बिस्तर पर बैठकर पढ़ने से मेरुदंड धीरे-धीरे आगे की ओर झुकने लगता है, जिसके कारण मेरुदंड से संबंधित अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। यदि समय रहते योगाभ्यास के द्वारा इसका प्रबंधन नहीं किया जाता है तो ये समस्याएं कमर दर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क आदि गंभीर रोग में परिणत हो जाते हैं।

दसवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर योग पखवाड़ा मना रहा है। जिसके अंतर्गत रोग आधारित योग कार्यशालाएं नगर के अलग-अलग चारों क्षेत्रों में आयोजित हो रही है। इसी क्रम में सोमवार को पंचम कार्यशाला कैलाश सरस्वती इण्टर कालेज कल्यानपुर कानपुर में सम्पन्न हुई।

कुलानुशासक डा. प्रवीन कटियार ने पखवाड़े के अन्तर्गत होने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा रोग आधारित योग कार्यशाला के अतिरिक्त विश्वविद्यालय में निःशुल्क 15 दिवसीय योग प्रशिक्षण, दिव्यांग योग, जल योग आदि विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसके साथ ही साथ 21 जून, 2024 को परिसर के रोजगार्डेन में योग का अभ्यास कराया जायेगा।

योग के सहायक आचार्य डॉ रामकिशोर ने बताया कि मधुमेह प्रबंधन के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन, मण्डूकासन, भुजंगासन और धनुरासन का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इन आसनों के अभ्यास से मधुमेह का प्रबंधन और बचाव दोनों होता है। जोड़ों के दर्द के बचाव और प्रबंधन के लिए संधिसंचालन के अभ्यास करने चाहिए। इसमें पैर के पंजों से लेकर गर्दन तक एक-एक संधि की गति संधि की प्रकृति के अनुसार श्वास-प्रश्वास के साथ करनी चाहिए। कमर दर्द के रोगियों को पवनमुक्तासन, सेतुबंधासन, मेरुदण्डासन, मकरासन, भुजंगासन और धनुरासन का अभ्यास करना चाहिए। कमर दर्द का अधिकतर कारण गलत शारीरिक अवस्था अथवा आगे झुकने वाले कार्यों को अधिक करना है। इसके अतिरिक्त जो लोग व्यायाम तो करते हैं, परन्तु उनके अभ्यास मेरुदण्ड पर संतुलित खिंचवा नहीं डालते, उन्हें भी कमर दर्द की समस्या हो जाती है।

उन्होंने बताया कि व्यक्ति को योग के आसनों का भी चयन करते समय कम से कम एक आसन स्पाइन में खिंचाव उत्पन्न करने वाला, एक आसन मेरुदंड को अगल-बगल झुकाने वाला, एक आसन कम से कम स्पाइन को मोड़ने वाला और दो से तीन आसन पीछे की ओर झुकाने वाले होने चाहिए। थायराइड के असंतुलित होने पर व्यक्ति को सिंहासन और उज्जयी प्राणायाम का अभ्यास नियमित करना चाहिए। किशोरों के लिए सूर्यनमस्कार, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम सर्वाधिक उपयोगी है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/राजेश