मान्यताएं मनुष्य को श्रेष्ठ, विद्वान और धर्मात्मा बनाती हैं : डा. सूर्य प्रकाश द्विवेदी
- आर्य समाज स्टेशन रोड पर सोमवार को साप्ताहिक अधिवेशन
मुरादाबाद, 01 जुलाई (हि.स.)। आर्य समाज स्टेशन रोड पर सोमवार को साप्ताहिक अधिवेशन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर आर्य विद्वान और वेदों के मर्मज्ञ डा. सूर्य प्रकाश द्विवेदी ने ऋग्वेद के मंत्रों के आधार पर सात मान्यताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जो व्यक्ति इन मान्यताओं का पालन करता है और अपने जीवन में व्यावहारिक रूप से अपने आचरण में लाता है वह निरंतर उच्च आदर्श को धारण करता जाता है और परमपिता परमात्मा को पाने का श्रेष्ठ पात्र बनता हैं।
डॉ सूर्य प्रकाश द्विवेदी ने आगे कहा कि वही व्यक्ति श्रेष्ठ विद्वान ब्राह्मण आचार्य और धर्मात्मा कहलाता है आचार्य द्विवेदी ने सात मान्यता का वर्णन करते हुए कहा कि पहली मान्यता अहिंसा है जिसका आशय जीवों पर हिंसा न करना, उनकी रक्षा करना मन वचन और कर्म से सदैव यह मानते हुए की परमपिता परमात्मा ने मेरी तरह अन्य जीव भी मेरी सहायता के लिए और सहयोग के लिए बनाए हैं, मैं उनके प्रति हिंसा ना करूं, उनकी हत्याएं ना करूं। जो व्यक्ति ऐसा करता है वह श्रेष्ठता को धारण करता है और धर्मात्मा बनता है।
इसके पूर्व रविंद्र आर्य ने निर्मल रस्तोगी, आलोक गुप्ता, संतोष गुप्ता और राकेश आर्य की यजमानी में वेद मंत्रों की सहायता से यज्ञ संपन्न कराया। इसके बाद संदीप त्रिवेदी और अजब सिंह आर्य ने ईश्वर भक्ति भजन प्रस्तुत किया तथा मयंक आर्य ने महर्षि दयानंद के अमर ग्रंथ सत्य प्रकाश का पाठ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अरविंद आर्य बंधुओ ने की और संचालन विनोद कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर पर रमेश सिंह आर्य, डॉ अभय श्रोत्रिय, डॉ. आलोक गुप्ता, निर्मल आर्य, मयंक आर्य, राकेश कुमार, सुभाष आर्य, अर्जुन वीर वर्मा, यशपाल आर्य, शेखर आर्य, लोकेश आर्य, वीरेंद्र आर्य आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल/राजेश