यूजीसी के अनुसार अब सेमेस्टर 90 टीचिंग डे का हो गया : कौशल किशोर
शिक्षा का अर्थ मनुष्य को ज्ञानवान और संवेदनशील बनाना : प्रो. अरविन्द
प्रयागराज, 08 दिसम्बर (हि.स.)। उच्च शिक्षा अपनी स्वायत्तता के लिए जानी जाती है। आज के समय में कोई डिग्री प्रोग्राम कोर मेंडिट्री हो गया है। शिक्षण संस्थान जैसा शिक्षण निर्धारित करता है आप उसी के अनुरूप कार्य करते हैं। उसी के अनुरूप डिग्री, डिप्लोमा और कोर्स करते हैं। यू.जी.सी के अनुसार अब सेमेस्टर 90 टीचिंग डे का हो गया है।
उक्त विचार जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली से बतौर मुख्य वक्ता कौशल किशोर ने सर्वांग शिक्षा पर व्यक्त किया। शुक्रवार को ईश्वर शरण पीजी कॉलेज द्वारा भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत द्वितीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘ओरियेंटेशन एंड सेन्सेटाइजेशन प्रोग्राम’ का उद्घाटन हुआ।
दूसरे वक्ता प्रो. अरविन्द ने सर्वांग शिक्षा पर कहा कि हमारी शिक्षा पहले से ही होलिस्टिक रही है। शिक्षा का सिस्टम बहुत बड़ा है। शिक्षा का अर्थ मनुष्य को ज्ञानवान और संवेदनशील बनाना है। सर्वांग शिक्षा समग्र प्रबंधन शिक्षा को सुनिश्चित करने और स्नातकों को भविष्य के लिये अभिनव नेतृत्व में विकसित करने के लिए चलायी गयी है। प्रो.अरविन्द ने कहा कि सर्वांग शिक्षा बालकों के ध्यान को विषय की ओर केंद्रित करना और उनके तामसिक भाव को दूर करना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का सम्बंध जीवन की समग्रता से होना चाहिए न की तात्कालिक चुनौतियों की तात्कालिक प्रतिक्रियाओं से।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉ मनोज कुमार दुबे ने एवं विषय प्रवर्तन डॉ अविनाश कुमार पांडेय ने किया। संचालन डॉ शिखा श्रीवास्तव एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ विकास कुमार ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन