काशी में मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योर्तिलिंगों का महासमागम, 400 प्रतिनिधि शामिल होंगे
—सनातन समाज को एकसूत्र में पिरोने पर होगी चर्चा, 29 नवम्बर को निकलेगी शोभायात्रा
वाराणसी,27 नवम्बर (हि.स.)। काशीपुराधिपति की नगरी में 30 नवम्बर और एक दिसम्बर को मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्यादश ज्योर्तिलिगों के प्रतिनिधियों की जुटान होगी। सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंंटर में आयोजित दो दिवसीय महासमागम का उद्घाटन 30 नवम्बर को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक करेंगे। समापन समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो सकते है। बुधवार को सोनिया मौलवीबाग स्थित सेंटर फॉर सनातन रिसर्च एवं ट्राईडेंट सेवा समिति के कार्यालय में महासमागम के आयोजकों ने यह जानकारी पत्रकारों को दी।
आयोजक संस्था के अध्यक्ष डॉ रमन त्रिपाठी,महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा,प्रशांत हड़ताड़कर,शक्तिपीठ विशालाक्षी मंदिर के महंत पं.राजनाथ तिवारी,प्रोफेसर वाचस्पति त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से बताया कि कुल 06 सत्रों में कार्यक्रम होगा। महासमागम में सनातन समाज के एकता पर चर्चा होगी। इसमें श्रीलंका,नेपाल,बांग्लादेश,पाकिस्तान,भारत के उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र,पंजाब,पश्चिम बंगाल,तमिलनाडु,जम्मू कश्मीर,मेघालय,त्रिपुरा,असम, मैसूर,मानसरोवर के साधु —संत और पीठाधीश्वर भाग लेंगे। इसके पहले 29 नवम्बर को दशाश्वमेध स्थित चितरंजन पार्क से श्री काशी विश्वनाथ धाम तक कलश शोभायात्रा निकलेगी। प्रशांत हड़ताड़कर ने बताया कि देश में शक्तिपीठ से आशय है 'शक्ति का आसन' । जहां शक्ति रूप देवी का निवास है । जहां सनातन धर्म के अनुसार सती देवी के शरीर के अंग गिरे,वहां—वहां शक्तिपीठ बन गया। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ का वर्णन है। इन 51 शक्तिपीठों में भारत में 42,बांग्लादेश में चार,पाकिस्तान में एक,श्रीलंका में एक तथा नेपाल में दो है। उन्होंने बताया कि सेंटर फॉर सनातन रिसर्च का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना एवं रचनात्मक कार्यों के माध्यम से जन-जन तक सनातन धर्म के मूल्य, धर्मदर्शन और संस्कारों को पहुंचाना है।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी