श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सनातन पद्धति से निर्मित महाप्रसाद चढ़ेगा, खुला विक्रय काउंटर

 






-तंदूल महाप्रसाद तंडुल, अक्षत या चावल से बना, ग्रंथों और पुराणों का अध्ययन कर बनाया गया

वाराणसी, 12 अक्टूबर (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालु शिवभक्त सनातन पद्धति से निर्मित तंदूल महाप्रसाद चढ़ायेंगे। शास्त्रोक्त पद्धति से निर्मित महाप्रसाद मंदिर के विक्रय काउंटर पर उपलब्ध करा दिया गया है। विजयदशमी पर्व पर शनिवार को मंदिर न्यास के पदाधिकारियों के साथ मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने तंदूल महाप्रसाद को बाबा के भोग आरती में चढ़ाने के बाद इसका वितरण भी कराया।

मंदिर न्यास ने श्रद्धालुओं के आस्था, गुणवत्ता तथा शुचिता के साथ पहली बार मंदिर का अपना प्रसाद तैयार कराया है। न्यास ने अपनी पिछली बैठकों में निर्णय लिया था कि मंदिर का स्वयं का निर्मित प्रसाद होना चाहिए। जो उन सामग्रियों से बना होना चाहिए जो भगवान शिव को शास्त्रों में उल्लेखित वर्णन के अनुसार प्रिय हैं और उनको अर्पित किए जाते हैं। इसका अनुरोध समूचे देश के श्रद्धालु काफी समय से कर रहे थे। श्रद्धालुओं के अनुरोध पर मंदिर प्रशासन ने कुछ महीनों से काशी और देश के कई जाने-माने विद्वानों के द्वारा अलग-अलग शास्त्रों, पुराणों व ग्रंथों का अध्ययन कराया और उसमें भगवान शिव को प्रिय, चढ़ाई जाने वाली प्रसाद स्वरूपी वस्तुएं चिन्हित की गईं।

मंदिर प्रशासन के अनुसार जिन ग्रंथों और पुराणों का अध्ययन किया गया है उनमें शिव महापुराण, शिवर्चना चंद्रिका, वीर मित्रोदय:, लिंग पुराण,स्कन्द पुराण आदि सम्मिलित हैं। इन सबके सार के रूप में तंडुल, अक्षत या चावल का प्रसाद शिव जी को अर्पित करना सर्वोत्तम बताया गया है। इसके आधार पर जो प्रसाद तैयार किया गया है उसे तंदूल महाप्रसाद का नाम दिया गया है। मंदिर प्रशासन के अनुसार सभी गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए सनातन, शास्त्रीय एवं परंपरागत मान्यताओं का समावेश कर यह विशिष्ट प्रसाद तैयार कराया गया है। इस प्रसाद का विशेष घटक तंदुल या चावल होगा जो शिव को अत्यंत प्रिय है साथ ही इसमें देशी घी का प्रयोग किया जाएगा। इसमें विशेष रूप से उन बेल पत्रों का उपयोग किया जाएगा जो भगवान विश्वेश्वर को अर्पित किए गए होंगे और मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा से समृद्ध होंगे। बेल पत्र सनातन परंपरा में पवित्र माने जाते हैं और भगवान शिव की पूजा में उनका विशेष महत्व है। इसके प्रत्येक लड्डू में श्री काशी विश्वनाथ को अर्पित बिल्व पत्र का अंश होगा। इसलिए प्रत्येक लड्डू श्री काशी विश्वनाथ को अर्पित होने के समतुल्य हो जाता है जो इसकी प्रमुख विशेषता है। बिल्व पत्र प्रसाद के साथ साथ औषधीय रूप में भी प्रसाद ग्रहण करने वालों को लाभ पहुंचाएगा।

बताया गया कि श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट ने प्रसाद निर्माण की पूरी प्रक्रिया के लिए बनास डेयरी (अमूल) वाराणसी से समझौता किया है। जिसमें मंदिर ट्रस्ट की ओर से उपलब्ध करवाई गई रेसिपी का प्रसाद बनास डेयरी वाराणसी ने अपनी पिंडरा स्थित फैक्ट्री में निर्मित कराया है। बनास डेयरी वाराणसी में पूर्व से ही मिठाई बनाने की यूनिट व मशीन मौजूद हैं। जिसमें लाल पेडा, लौंग लता, रसगुल्ला आदि मिठाई निर्मित की जाती हैं। इसी प्रकार की एक मशीन लाइन तंदूल महा प्रसाद के लिए भी संरक्षित कर दी गई है।

बनास डेयरी वाराणसी ने प्रसाद के लिए सभी सर्टिफिकेशन और एफएसएसएआई के मानकों के अनुसार सर्टिफिकेशन करवा लिए है। इसके सभी टेस्टिंग के मानक पूर्ण करने के उपरांत प्रसाद का निर्माण प्रारंभ किया गया है। प्रसाद निर्माण में जो देशी घी प्रयुक्त होगा वह भी उत्तर प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों के द्वारा दिए गए दूध से ही निर्मित होगा। प्रसाद निर्माण की पूरी प्रक्रिया फ़ूड सेफ्टी के उच्चतम मानदंडों के अनुपालन के साथ साथ शास्त्रीय परिवेश में संपन्न की जाय यह भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस आशय से न्यास ने फैक्ट्री की 24 गुणे सात सीसीटीवी सर्विलांस की फीड, कार्मिकों के सनातनी परंपरा की पृष्ठभूमि, सनातन धर्म मे श्रद्धा, शिवजी के दर्शन के पश्चात् ही प्रसाद निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी ली है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी