बीएचयू में गुरूवार से शास्त्रार्थियों का महाकुंभ,पारम्परिक पद्धति से शास्त्रार्थ होगा
शास्त्रार्थ में दक्षिण भारत के विद्यान भी शामिल होंगे: प्रो.राजाराम शुक्ल
वाराणसी, 27 नवम्बर (हि.स.)। प्रयागराज महाकुंभ के पहले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में गुरूवार से शास्त्रार्थियों का महाकुंभ आयोजित किया गया है। महामना पं.मदनमोहन मालवीय की तपोभूमि में तीन दिन तक देशभर के अपने शास्त्रों के मर्मज्ञ विद्वान् जुटेंगे। परिसर स्थित संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान में देश भर के दिग्गज विद्वान् अखिल भारतीय शास्त्रार्थ सभा में पारम्परिक पद्धति से शास्त्रार्थ करेंगे । काशी में पहला अवसर है कि महामना की बगिया में महामना की भावना के अनुरूप शास्त्रार्थी विद्वानों का महाकुंभ लगेगा । इस महाकुंभ में वेद, व्याकरण, मीमांसा,वेदान्त,न्याय, एवं साहित्य आदि शास्त्रों के गहन विषयों पर काशिकेय प्राचीन शास्त्रार्थ पद्धति एवं दाक्षिणात्य शास्त्रार्थ पद्धति से चिन्तन मंथन होगा ।
इस शास्त्रार्थ सभा के सूत्रधार संकाय प्रमुख प्रो.राजाराम शुक्ल ने बताया कि चेन्नई से न्याय, मीमांसा एवं वेदान्त आदि शास्त्रों के पारंगत विद्वान आचार्य मणि द्राविड , तिरुपति (आन्ध्रप्रदेश) से न्याय, वेदान्त आदि के विद्वान आचार्य गणपति भट्ट, आचार्य के.एस सतीश, श्रृंगेरी (कर्नाटक) से व्याकरण शास्त्र के विद्वान आचार्य कृष्णानन्त पद्मनाभन,वेदान्त के विद्वान आचार्य गणेश ईश्वर भट, जयपुर (राजस्थान) से साहित्य शास्त्र के विद्वान आचार्य रामकुमार शर्मा , देवप्रयाग (उत्तराखंड) से व्याकरण शास्त्र के युवा विद्वान आचार्य गणेश्वर नाथ झा आदि भी भागीदारी करेंगे।
उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान परम्परा को समृद्ध एवं व्यापक बनाने में इस प्राचीन महनीय शास्त्रार्थ परम्परा का विशिष्ट अवदान रहा है, यही कारण है कि संस्कृत वांगमय में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में एक से एक अद्भुत वैज्ञानिक शोधपरक ग्रन्थों की रचना एवं विशिष्ट सिद्धान्तों का उद्भव व विकास हुआ है । इस महनीय शास्त्रार्थ परम्परा को आगे बढाने में आदि शंकराचार्य से लेकर शिव कुमार शास्त्री तक के आचार्यों का विशेष योगदान रहा है । भारत की एकता व अखण्डता में इस परम्परा का विशिष्ट योगदान रहा हैै।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी