ठाकुर बांकेबिहारी लाल के प्राकट्योत्सव पर हुआ 2100 किलो पंचामृत प्राकट्यस्थल का महाभिषेक

 


मथुरा, 17 दिसम्बर (हि.स.)। तीर्थनगरी में जन जन के लाडले ठा. बांकेबिहारी लाल का प्राकट्योत्सव रविवार श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में निधिवनराज में प्राकट्यस्थली पर लगभग 2100 किलो दूध, दही, शहद, घी व बूरा से निर्मित पंचामृत से प्राकट्य स्थल का महाभिषेक किया गया। जिसके साक्षी जय जय कुंजबिहारी श्रीहरिदास, जय जय विठ्ठल विपुल बिहारन दास का जयनाद उच्चारित करते हजारों भक्त बने।

स्वामी हरिदास जी महाराज की संगीतमय प्रीति साधना के वशीभूत होकर आभा पुंज से प्रकटित जन-जन के आराध्य ठा. बांकेबिहारी महाराज का प्राकट्योत्सव मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पंचमी के अवसर पर तीर्थनगरी में श्रद्धाभाव के साथ मनाया जा रहा है। प्रातःकाल 4 बजे मंदिर के पट खुले। परिसर को लगभग 500 किलो देशी-विदेशी फूलों से निधिवनराज मंदिर प्रांगण को सजाया गया। दर्शनों के लिए सुबह से ही भक्तगण कतारबद्ध होकर बांके बिहारी महाराज और स्वामी हरिदास के जयकारे लगाते रहे। वहीं 2100 किलो पंचामृत से वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य सेवायत भीकचंद्र गोस्वामी, रोहित गोस्वामी आदि ने अभिषेक किया। प्रातःकाल महाभिषेक तथा महाआरती के बाद स्वामी हरिदास महाराज रजत रथ पर विराजकर बधाई देने बांकेबिहारी मंदिर पहुंचे। शोभायात्रा का नगर में स्थान-स्थान पर भव्य स्वागत हुआ। शोभायात्रा में आगरा, मथुरा, वृन्दावन, नागपुर, दिल्ली और पुणे के बैंडों के साथ संकीर्तन मंडलियां और भक्तिमय धुनों पर नाचते-थिरकते भक्त शामिल रहे। बांकेबिहारी लाल को परंपरागत मोहनभोग अर्थात् केशरयुक्त देशी घी के हलवा का भोग निवेदित किया गया। पुलिस प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्थाओं के बीच लाइनें लगाकर लोगों को दर्शन कराए। हालांकि लाइन के इंतजार के बावजूद दर्शनार्थियों ने सुविधाजनक दर्शन होने की बात कही। अपराह्न बधाई लेकर पहुंचे स्वामी हरिदास जी का भव्य अभिनंदन मंदिर परिसर में किया गया। लाडले ठाकुर की विशेष राजभोग आरती मंदिर में उतारी गई। संपूर्ण मंदिर परिसर बांकेबिहारी लाल और स्वामी जी के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। निधिवनराज और बांके बिहारी मंदिर में पूरे दिन में लगभग 01 लाख भक्तों के दर्शन करने का अनुमान है। संपूर्ण बांके बिहारी मंदिर को पीले रंग में कपड़ों, गुब्बारों और फूलों से सजाया गया। वहीं आराध्य को करोड़ों रुपये के वस्त्राभूषण धारण कराए गए। प्रभु को हीरे और सोने का मुकुट, करधनी, पाजेब, बाजूबंद, हार और मुक्तमाल धारण कराए गए। वहीं सायंकाल निधिवनराज मंदिर में आतिशबाजी और रोशनी भी की जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/आकाश