माँ विंध्यवासिनी धाम बनेगा धार्मिक पर्यटन और अर्थव्यवस्था का नया केंद्र : डीआरएम

 


मीरजापुर, 3 नवंबर (हि.स.)। एक समय था जब माँ विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को संकरे रास्तों और भीड़भाड़ से गुजरना पड़ता था। स्टेशन से मंदिर तक पहुँचने में घंटों लग जाते थे। लेकिन अब विंध्याचल की पहचान बदल रही है। विंध्य कॉरिडोर परियोजना और वंदे भारत एक्सप्रेस के ठहराव से यह प्राचीन तीर्थक्षेत्र धार्मिक पर्यटन का आधुनिक केंद्र बनता जा रहा है।

सोमवार की शाम उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल के डीआरएम रजनीश अग्रवाल विंध्याचल रेलवे स्टेशन पहुंचे। उन्होंने प्लेटफार्म, सर्कुलेटिंग एरिया, प्रकाश व्यवस्था और यात्री सुविधाओं का निरीक्षण किया। आगामी वंदे भारत ठहराव को लेकर उन्होंने उद्घाटन कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की।

डीआरएम ने कहा कि विंध्याचल अब श्रद्धा और विकास का संगम बन चुका है। वंदे भारत ठहराव से देशभर के श्रद्धालुओं को यहाँ तक पहुँचना और आसान होगा। यह न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय व्यापार और रोजगार के नए द्वार भी खोलेगा। निरीक्षण के दौरान रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी, इंजीनियर और नगर प्रशासन के अधिकारी उपस्थित रहे।

विंध्य कॉरिडोर निर्माण से मंदिर तक पहुँचने वाले मार्ग चौड़े और स्वच्छ हो गए हैं। घाटों की सीढ़ियाँ और प्रकाश व्यवस्था भक्तों को दिव्य अनुभव देती है। अब स्टेशन से मंदिर तक पहुँचने में समय कम लगेगा, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। स्थानीय दुकानदारों, फोटोग्राफरों, पंडा समाज और परिवहन सेवाओं में नई ऊर्जा दिखने लगी है। अंदाजा है कि वंदे भारत ठहराव के बाद हर सप्ताह हजारों नए श्रद्धालु यहाँ आएंगे, जिससे होटल, परिवहन, हस्तशिल्प और प्रसाद उद्योग को बड़ी बढ़त मिलेगी।

कॉरिडोर और वंदे भारत दोनों परियोजनाएँ मिलकर विंध्याचल को “ग्लोबल पिलग्रिम सर्किट” में प्रमुख स्थान दिला सकती हैं। काशी, अयोध्या और प्रयागराज की तरह विंध्याचल भी अब धार्मिक पर्यटन के स्वर्ण त्रिकोण में शामिल होता जा रहा है। स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि पहले जहाँ धूल, जाम और अव्यवस्था थी, अब वही जगह दिव्यता, स्वच्छता और भव्यता से भर गई है। माँ विंध्यवासिनी की कृपा से नगर का कायाकल्प हो गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा