लोस चुनाव : तीसरे चरण की तीन सीटों पर होगी सपा की अग्नि परीक्षा

 


लखनऊ, 04 मई (हि.स.)। 18वीं लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर मतदान होगा। पिछले चुनाव में भाजपा ने 8 और सपा ने 2 सीटों पर जीत का झंडा गाड़ा था। ऐसे में भाजपा और सपा दोनों के लिए तीसरा चरण काफी अहम है। प्रदेश की राजनीति में सबसे बड़े राजनीतिक यादव परिवार के पांच सदस्य इस बार चुनाव मैदान में हैं। उनमें से तीन की परीक्षा तीसरे चरण में ही होगी। उल्लेखनीय है कि 2019 के चुनाव में सपा ने मैनपुरी और संभल सीट जीती थी।

मैनपुरी में मुलायम की विरासत संजोएगी डिंपल

मैनपुरी लोकसभा सीट पर दस बार सपा, कांग्रेस पांच बार, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल, जनता पार्टी (सेकुलर), जनता दल और जनता पार्टी को एक-एक बार जीत मिली, लेकिन भाजपा यहां से पहली जीत का इंतजार कर रही है। सपा के इस मजबूत गढ़ से पार्टी ने मौजूदा सांसद डिंपल को मैदान में उतारा है। अपने ससुर और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी सीट पर दिसंबर 2022 में हुए उपचुनाव में प्रचंड जीत के साथ उन्होंने यादव परिवार की राजनीतिक विरासत को संभाला था। अब उन पर इस विरासत को सहेजने और संजोये रखने की जिम्मेदारी है। वहीं अब तक अजेय साबित हुई मैनपुरी सीट पर भगवा परचम लहराने के लिए भाजपा ने स्थानीय विधायक और योगी सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को मैदान में उतारा है। यादव और शाक्य बिरादरियों की बड़ी आबादी वाली इस सीट पर बसपा ने पूर्व विधायक शिव प्रसाद यादव को मैदान में उतारा है। बसपा प्रत्याशी जीत नहीं पाए तो सपा के लिए 'वोट कटवा' जरूर साबित हो सकते हैं।

वहीं मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में डिंपल की जीत के पीछे सहानुभूति बड़ा फैक्टर था। इधर, भाजपा इस भरोसे पर है कि जैसे विधानसभा चुनाव में मैनपुरी में सेंध लगाई, उसके प्रभाव में लोकसभा चुनाव के नतीजे भी बदलेंगे और वो यहां कमल खिलाने में सफल होगी।

फिरोजाबाद में अक्षय का कड़ा इम्तिहान

फिरोजाबाद सीट कभी सपा का गढ़ा हुआ करती थी। 2019 में फिरोजाबाद से भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन ने सपा के अक्षय यादव का परास्त किया था। सपा ने इस सीट से तीसरी बार अक्षय यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा ने मौजूदा सांसद चंद्रसेन का टिकट काटकर बसपा से भाजपा में शामिल हुए ठाकुर विश्वदीप पर दांव लगाया है। बसपा ने सत्येंद्र जैन को टिकट दिया है। अक्षय यादव ने इस सीट पर जीत को अपनी साख का सवाल बना लिया है। इस चुनाव का नतीजा उनका राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। चाचा शिवपाल के साथ आने से अक्षय की स्थिति पहले से काफी मजबूत मानी जा रही है। भाजपा प्रत्याशी ठाकुर विश्वदीप सिंह का संबंध राजनीतिक परिवार से है। विश्वदीप सिंह के पिता ठाकुर बृजराज सिंह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से सांसद रहे हैं। भाजपा अगड़े, अति पिछड़े बिरादरी के साथ ही दलित वोटरों में बनी पैठ को और मजबूत बनाने में लगी है। बसपा के अकेले चुनाव मैदान में उतरने से लड़ाई दिलचस्प हो गई है।

बदायूं में आदित्य के सामने कड़ी चुनौती

2019 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. संघप्रिया गौतम ने यहां कमल खिलाया था। सपा इस सीट पर जीत के साथ वापसी करना चाहती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले यहां चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया था। धर्मेन्द्र 2009 व 2014 में बदायूं से बतौर सपा प्रत्याशी सांसद चुने गए थे, लेकिन 2019 में चुनाव हार गए थे। लेकिन बाद में उन्हें आजमगढ़ से प्रत्याशी बनाकर चाचा शिवपाल सिंह यादव को बदायूं से उम्मदीवार घोषित किया। बाद में स्थानीय इकाई की मांग पर अखिलेश ने चाचा शिवपाल की जगह उनके पुत्र आदित्य यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया। भाजपा ने मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को उम्मीवार बनाया है तो बसपा ने मुस्लिम खां पर भरोसा जताया है। सपा यादव और मुस्लिम मतों के गठजोड़ के साथ मैदान में है। लेकिन गैर यादव जातियों के साथ सवर्ण मतदाता को जोड़ना चुनौती भी है। यहां अधिकतम दो लाख मत हासिल कर चुकी बसपा के लिए अनुसूचित और मुस्लिम का गठबंधन एक बार फिर मजबूती का आधार है पर सर्वण मतदाता और यादव मतदाता बसपा के लिए चुनौती हैं। बसपा उम्मीदवार अपने संपर्क के आधार पर मुस्लिम मतों का कितना बंटवारा कर पाते हैं और बसपा अपने परंपरागत मतदाता को कितना सहेज पाती है। इस पर सबकी निगाहें हैं। भाजपा यहां अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए जोर लगाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/राजेश