लोस चुनाव : उप्र दूसरे चरण की पांच लोकसभा सीटें जहां आज तक नहीं जीती कोई महिला उम्मीदवार

 


लखनऊ, 22 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर (सु0), अलीगढ़ और मथुरा कुल आठ सीट पर 26 अप्रैल को वोट पड़ेंगे। इन आठ सीटों में से पांच सीटें ऐसी हैं जहां 1952 के पहले आम चुनाव से लेकर 2019 के चुनाव तक कभी कोई महिला उम्मीदवार नहीं जीती। इन लोकसभा क्षेत्रों में महिलाओं के लिए जीत दर्ज करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। बता दें, मेरठ, अलीगढ़ और मथुरा सीट से महिला सांसद जीत दर्ज करा चुकी हैं। अलीगढ़ में तो रिकार्ड सात बार महिला सांसद निर्वचित हुई हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अहम संसदीय सीट अमरोहा 1957 में अस्तित्व में आई। इस सीट पर 1962 के आम चुनाव में कुल नौ उम्मीदवारों में एक महिला थी। इसके बाद 1996 के आम चुनाव में एक, 1998 में एक और 2009 में दो महिला प्रत्याशी मैदान में थी। 2014 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने हुमेरा अख्तर को मैदान में उतारा था। सपा प्रत्याशी 370,666 (33.82 फीसदी) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहीं।

मेरठ संसदीय सीट पर 1952 के पहले आम चुनाव में वोट पड़े। इस सीट पर 1980 के आम चुनाव में पहली बार कांग्रेस (आई) की टिकट पर महिला प्रत्याशी मोहसिन किदवई मैदान में उतरी। मोहसिना किदवई ने यहां जीत दर्ज की थी। 1984 के चुनाव में कुल 33 उम्मीदवार में से तीन महिला थी। कांग्रेस की मोहसिना किदवई ने ये चुनाव जीता। 1989 के चुनाव में दो, 1996 में पांच, 1998 में तीन महिला प्रत्याशी मैदान में उतरी। वहीं 2014 ओर 2019 के चुनाव में क्रमश: एक और दो महिला उम्मीदवार मैदान में उतरी।

1967 में बागपत संसदीय सीट अस्तित्व में आई। इस सीट के अस्तित्व में आने के 42 साल बाद पहली बार 2009 के चुनाव में दो महिला उम्मीदवार मैदान में उतरी। हालांकि दोनों महिला उम्मीदवारों को कुल 791 वोट हासिल हुए। 2014 और 2019 के चुनाव में एक-एक महिला प्रत्याशी मैदान में थी। जिन्हें नाममात्र के वोट प्राप्त हुए।

गाजियाबाद सीट 2009 में अस्तित्व में आई। 2014 के चुनाव में कुल 15 प्रत्याशियों में सिर्फ एक महिला उम्मीदवार आम आदमी पार्टी (आप) की प्रत्याशी शाजिया इल्मी थी। आप प्रत्याशी 89147 (6.64 प्रतिशत) वोट पाकर पांचवे नंबर पर रही। 2019 के चुनाव में कुल 12 प्रत्याशियों में दो महिला थीं। कांग्रेस की डॉली शर्मा 111,944 (7.34 प्रतिशत) वोट पाकर तीसरे नंबर पर रही।

गौतमबुद्धनगर सीट भी 2009 में अस्तित्व में आई। यहां पहले चुनाव में कुल 26 प्रत्याशियों में छह महिला थी। महिला प्रत्याशियों के खाते में काफी कम वोट आए। 2014 में कुल 24 प्रत्याशियों में चार महिला थीं। महिला प्रत्याशियों के हिस्से में कुल 5481 वोट आए। 2019 में कुल 13 प्रत्याशियों में एक भी महिला नहीं थी।

बुलंदशहर सुरक्षित सीट पर पहला चुनाव 1952 को हुआ। इस सीट पर पहली बार 1991 के आम चुनाव में कुल 29 प्रत्याशियों में एक महिला मैदान में उतरी। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी मायावती 73,544 (16.35 प्रतिशत) वोट पाकर चौथे स्थान पर रहीं। इसके बाद 1998 के आम चुनाव में एक, 2004 में एक, 2009 में छह महिला उम्मीदवार मैदान में उतरी। 2014 के चुनाव में एक मात्र महिला प्रत्याशी रालोद की टिकट पर अंजू उर्फ मुस्कान मैदान में थी। रालोद प्रत्याशी 59,116 (5.85 प्रतिशत) वोट पाकर चौथे नंबर पर रही। 2019 के चुनाव में कुल नौ प्रत्याशियों में से दो महिला थी। दोनों को मिलाकर कुल 6632 वोट मिले।

अलीगढ़ संसदीय सीट के अस्तित्व में आने के 28 साल बाद 1980 के आम चुनाव में पहली बार दो महिला उम्मीदवार मैदान में उतरीं। जनता पार्टी सेक्यूलर प्रत्याशी इंदिरा कुमारी ने यहां जीत का झंडा फहराया। 1984 के चुनाव में तीन महिला प्रत्याशी मैदान में थी। ये चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी उषा कुमारी ने जीता। भाजपा प्रत्याशी इंदिरा कुमारी दूसरे नंबर पर रही। 1991 के चुनाव में दो महिला उम्मीदवार मैदान में थी। भाजपा की शीला गौतम यहां से जीती। शीला गौतम ने 1996, 98 और 99 के चुनाव में लगातार जीत दर्ज की। शीला गौतम ने चार बार इस सीट की संसद में नुमाइंदगी की। 2009 के चुनाव में दो महिला प्रत्याशियों ने पर्चा भरा। बसपा की राजकुमारी चौहान यहां से सांसद बनी। भाजपा उम्मीदवार शीला गौतम दूसरे नंबर पर रहीं। 2014 और 2019 के चुनाव में क्रमश: एक और दो महिला प्रत्याशी मैदान में थी। अलीगढ़ संसदीय सीट के इतिहास में 17 बार हुए चुनाव में सात बार महिला सांसद चुनी गई।

देश में 1952 में हुए पहले आम चुनाव में कृष्णनगरी मथुरा में वोट डाले गए। पहले चुनाव में इस सीट पर कुल 63 प्रत्याशियों में एक भी महिला नहीं थी। 1984 के आम चुनाव में पहली बार इस सीट पर कुल 14 प्रत्याशियों में एक महिला भी थी। रालोद की टिकट पर डॉ. ज्ञानवती देवी ने चुनाव लड़ा। डॉ. ज्ञानवती देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौ.चरण सिंह की बेटी थी। ये चुनाव कांग्रेस के मानवेन्द्र सिंह ने जीता था। रालोद प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रही। 1999 के चुनाव में एक निर्दल महिला उम्मीदवार मैदान में थी। 2004 में दो महिला प्रत्याशी मैदान में थी। इस चुनाव में रालोद प्रत्याशी डॉ. ज्ञानवती सिंह 144,366 (23.97 प्रतिशत) वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहीं। 2014 और 2019 के चुनाव में क्रमश: दो और एक महिला प्रत्याशी मैदान में थे। दोनों चुनाव भाजपा प्रत्याशी प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी ने बड़े मतों के अंतर से जीते।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/मोहित