महाभारत कालीन इतिहास का साक्षी है लोधेश्वर धाम
बाराबंकी, 17 मार्च (हि. स.)। लोधेश्वर महादेवा मंदिर का महाभारत कालीन इतिहास है। यंहा धर्मराज युधिष्ठिर ने शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है कि तत्कालीन गंडक वर्तमान सरायू नदी के किनारे पांडवों ने अज्ञातवास का एक वर्ष बिताया था । नदी के किनारे उन्हें बहुत अच्छे लगे इसलिए यहीं पर वह रहने लगे। माता कुंती ने रुद्र महायज्ञ का आयोजन किया जिसकी सफलता के लिए शिवलिंग की स्थापना का विचार आया। महाबली भीम बद्रीनाथ केदारनाथ के अंचलों में गए और वहां से बहंगी बनाकर दो प्रस्तर खंड लेकर चले आए जिनमें से एक की स्थापना युधिष्ठिर ने महादेवा व दूसरे की स्थापना माता कुंती ने किन्तूर में की।
कालांतर में गंडक वर्तमान सरयू में बाढ़ आई और महादेवा का शिवलिंग बाढ़ की बालू के नीचे दब गया जो लोधौरा निवासी शिवभक्त लोधेश्वर राम अवस्थी को खेत में सिंचाई करते समय प्राप्त हुआ। उन्हीं के नाम से जुड़कर लोधेश्वर महादेव के नाम से शिव मंदिर विख्यात हो गया । उन्होंने एक मठिया बनाकर यहां पूजा प्रतिष्ठा प्रारंभ कर दी। बाद में राजा रामनगर बेनी सागर द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया। फाल्गुनी के अलावा यंहा सावन और कजरी तीज मेले में भारी भीड़ होती है। प्रत्येक सोमवार को हजारों भक्त यहां जल चढ़ाने आते हैं। इसकी महत्ता दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज कुमार/बृजनंदन