कुशीनगर में अमेरिका, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के सैलानियों ने जाना बुद्ध का सिद्धांत

 


बौद्ध सर्किट में यूरोप से भी आ रहे सैलानी

कुशीनगर, 19 अक्टूबर (हि.स.)। गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर यूरोपीय देशों के सैलानियों को भी भा रही है। बौद्ध सर्किट के चल रहे पर्यटन सीजन के दौरान शनिवार को बौद्ध देशों के सैलानियों के अलावा न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और अमेरिका के सैलानियों का भी दल दिखा। सैलानी जापान में प्रचलित बौद्ध धर्म की एक शाखा जेन बुद्धिज़्म के अनुगामी हैं।

दल में शामिल न्यूजीलैंड के जान मैकनॉन, एनी मेलोनी व पैट्रिक मेलोनी और आस्ट्रेलिया के पीटर गोल्डसवेन व मारग्रेट गोल्डसवेन तीसरी बार भारतीय बौद्ध सर्किट की यात्रा पर हैं। जबकि अमेरिका के जैकब कॉर्निंग और एनी ब्राईन प्रथम बार भारत आए हैं। 16 दिन के बौद्ध सर्किट के दौरे पर आया दल बुद्ध से जुड़े स्थलों, पुरावशेषों और बुद्ध के सिद्धांतों, उपदेशों, इतिहास आदि के अध्ययन में रुचि रख रहा है।

कुशीनगर आने के पूर्व दल ने बनारस, बोधगया, नालंदा, राजगीर, पटना, वैशाली, केसरिया, अरेराज, बेतिया, लोरिया और रामपुरवा की यात्रा पूरी की है। दल के साथ चल रहे बहुभाषी गाइड नीरज सिंह ने सैलानियों को बौद्ध पुरावशेषों के संबंध में जानकारी दी। दोपहर में रॉयल रेजीडेंसी होटल में ठहरा दल लुंबनी रवाना हो गया।

क्या है जेन बुद्धिज़्म

सैलानी पैट्रिक मेलोनी बताते हैं कि ज़ेन शब्द का अर्थ ध्यान है। आठवीं शताब्दी के आसपास जेन जापान में आया। ज़ेन बुद्धिज़्म का पश्चिम में विस्तार हो रहा है। ज़ेन बौद्ध धर्म एक सरल, दृढ़ निश्चयी, समझौता न करने वाला, सीधे-सादे, ध्यान-आधारित बौद्ध धर्म है जो सैद्धांतिक परिष्कार में कोई दिलचस्पी नहीं रखता।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोपाल गुप्ता