सेप्सिस के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की मजबूती महत्वपूर्ण: ब्रजेश पाठक
लखनऊ, 13 सितंबर (हि.स.)। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से विश्व सेप्सिस दिवस के अवसर पर आयोजित सेमिनार का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने किया। इस अवसर पर ब्रजेश पाठक ने कहा कि हमारे स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और समय पर हस्तक्षेप सुनिश्चित करना सेप्सिस के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण है, क्योंकि समय पर किया गया हर प्रयास जीवन बचा सकता है।
पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. दिगंबर बेहरा ने सेप्सिस की समय पर पहचान में विभिन्न जाचों के महत्व पर चर्चा की। एसजीपीजीआई लखनऊ में पल्मोनरी मेडिसिन के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. आलोक नाथ ने सेप्टिक शॉक में इनोट्रोप्स और वेसो प्रेसर्स के उपयोग को प्रस्तुत किया और उनका उपयोग कब और कैसे करना है, इस पर ध्यान केंद्रित किया।
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि हमारे स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को ज्ञान और संसाधनों के साथ सशक्त बनाना सेप्सिस के खिलाफ लड़ाई को बदलने और रोगी परिणामों में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है सेप्सिस
केजीएमयू के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग सेप्सिस प्रबंधन में उत्कृष्टता की हमारी निरंतर खोज इस विश्वास से प्रेरित है कि बचाया गया प्रत्येक जीवन मानवता की जीत है। डा. वेद प्रकाश ने बताया कि सेप्सिस सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसकी घटनाएं बढ़ रही हैं, पिछले कुछ दशकों में इसमें अत्यधिक वृद्धि देखी गई है। सेप्सिस से प्रति वर्ष लगभग 5 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं।
इस अवसर पर एसजीपीजीआई लखनऊ में नेफ्रोलॉजी के प्रमुख प्रोफेसर नारायण प्रसाद, केजीएमयू में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा,
लोहिया के पूर्व निदेशक डॉ. दीपक मालवीय और केजीएमयू यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. विश्वजीत सिंह ने यूरोसेप्सिस के निदान और प्रबंधन पर चर्चा की। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकांत को सम्मानित किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन यादव