मधुमेह व उच्च रक्तचाप की वजह से बढ़ रहे किडनी रोगी: डा. नारायण प्रसाद

 


लखनऊ,14 मार्च (हि.स.)। भारत में मधुमेह व उच्च रक्तचाप के कारण क्रोनिक किडनी रोग की घटनाओं में 35% की वृद्धि हुई है। एक नए अनुमान से पता चलता है कि क्रानिक किडनी रोग से संबंधित मृत्यु दर 2040 तक मृत्यु का 5वां प्रमुख कारण होगी। सीकेडी की जटिलताओं को रोकने का सबसे अच्छा तरीका सीकेडी की प्रगति को रोकना है। उन्नत अनुसंधान ने हमें उन दवाओं की पहचान करने में मदद की है जो सीकेडी की प्रगति को रोकने में प्रभावी हैं, लेकिन ये दवाएं सीकेडी के शुरुआती चरणों में प्रभावी हैं।

यह जानकारी संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलोजी विभाग विभागाध्यक्ष डा. नारायण प्रसाद ने दी। विश्व किडनी दिवस के अवसर पर 14 मार्च को एसजीपीजीआई में एक जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।

डा. नारायण प्रसाद ने बताया कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, मधुमेह रोगी, उच्च रक्तचाप, मोटापे से ग्रस्त रोगी, सीकेडी के पारिवारिक इतिहास वाले लोग, लंबे समय से धूम्रपान करने वाले और पथरी रोग से पीड़ित लोग हर साल मूत्र की जांच और सीरम क्रिएटिनिन और ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर का आकलन करके सीकेडी के लिए खुद को जांचते रहें।

डा. नारायण प्रसाद ने बताया कि बीमारी के इलाज से रोकथाम बेहतर है। किडनी की बीमारियों से 3 से 4 दशकों से अधिक समय तक जीवित रहने वाले मरीजों ने वकालत की कि दीर्घकालिक सफलता के लिए दवा का पालन सबसे महत्वपूर्ण है।

सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य

अपनी किडनी को हानिकारक दवाओं, दर्द निवारक दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग से बचाएं और प्रगति को धीमा करने के लिए उपयोगी दवाओं का उपयोग करें।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/मोहित