संविधान को सजीव बनाये रखें, नहीं तो हम सभी निर्जीव हो जायेगें-जिलाजज
प्रतापगढ़, 26 नवम्बर (हि. स.)। राष्ट्रीय संविधान दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान की प्रस्तावना का संकल्प पाठ रविवार को कलेक्ट्रट, विकास भवन एवं जनपद न्यायालय में कराया गया और संवैधानिक मूल्यों एवं आदर्शो की रक्षा करने का आवाहन किया गया।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्लान ऑफ एक्शन के अनुपालन में जिला जज/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अब्दुल शाहिद ने सभी न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों, अधिवक्ताओं को भारत के संविधान की प्रस्तावना का संकल्प पाठ कराया गया। इसके पश्चात् जनपद न्यायालय सभागार में जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाया गया।
इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने देश के स्थिति और परिस्थितियों को ध्यान में रखा था जिसके कारण सभी वर्ग और धर्म को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। उन्होने कहा कि हमारा संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है जिसमें देश की आत्मा है। उन्होने बताया कि भारतीय संविधान दुनिया के कई देशों के संविधान का अध्ययन करने के बाद विधि विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। हमारे देश के संविधान में सत्य, अहिंसा एवं वार्ता को अचूक हथियार के रूप में प्रमुख स्थान दिया गया है। जिला जज ने कहा कि न्यायपालिका रूपी संस्था की विश्वसनीयता बनाये रखने के लिये वादकारी के हित को ध्यान में रखा जाना चाहिये, नही तो न्यायपालिका से उसका विश्वास उठ जायेगा। उन्होने कहा कि चाहे न्यायिक अधिकारी हो या अधिवक्ता हो या कर्मचारी हो यह ध्यान रखना चाहिये कि वादकारी को हित सर्वोच्च है, उसके हित को नुकसान नहीं पहुॅचना चाहिये।
जनपद न्यायाधीश ने कहा कि भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बन कर तैयार हुआ और संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया, लेकिन भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया है, 26 नवम्बर का दिन संविधान के रूप संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय सन् 2015 में भारत सरकार द्वारा लिया गया। उन्होने कहा कि हमारे संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकार, कर्तव्य, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री के शक्तियों का वर्णन किया गया है। संविधान के जनक डाक्टर भीमराव अम्बेडकर थे।
पीठासीन अधिकारी एमएसीटी दिवाकर चतुर्वेदी ने कहा कि हमारे संविधान में समानता और मौलिक अधिकार, नागरिकों के कर्तव्य का वर्णन किया गया है। उन्होने कहा कि आवश्यकतानुसार समय-समय पर संविधान में कई संशोधन किये गये। इस अवसर पर अपर जिला जज हरविंदर सिंह ने कहा कि भारत के संविधान में देश की आत्मा है, उन्होने भारत के संविधान के निर्माण और उसे लागू किये जाने के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दिया।
एसीजेएम अर्चना तिवारी ने संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला।
न्यायिक अधिकारी अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन यतेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि देश की आजादी के बाद संविधान को बनाने में देश के विद्वानों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होने डा0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा राज्यसभा में दिये गये भाषण का भी उल्लेख किया। इस मौके पर अधिवक्ता मध्यस्थ विश्वनाथ प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि गर्व की बात है कि भारतीय संविधान के निर्माण में प्रतापगढ़ के पूर्व सांसद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, पंडित जी संविधान सभा के सदस्य थे, उनके हस्ताक्षर संविधान की मूल प्रति में है। उन्होने कहा कि हमारे संविधान की विशेषता है कि देश की जनता का विश्वास न्यायपालिका में सबसे अधिक है, विधायिका और कार्यपालिका से अधिक विश्वास जनता का न्यायपालिका में है।
कार्यक्रम का सफल संचालन सिविल जज सीनियर डिवीजन नीरज कुमार त्रिपाठी ने किया, कार्यक्रम का संयोजन अपर जिला जज/सचिव विधिक सेवा प्राधिकरण नीरज कुमार बरनवाल द्वारा किया गया। अंत में सभी के प्रति अपर जिला जज आलोक कुमार द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर अपर जनपद न्यायाधीश नन्द प्रताप ओझा सहित अन्य न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण, चीफ एवं असिस्टेण्ट लीगल एण्ड डिफेन्स काउन्सेल एवं पी0एल0वी0 गण उपस्थित रहे।
इसी प्रकार कलेक्ट्रेट में मुख्य राजस्व अधिकारी राकेश गुप्ता, विकास भवन में जिला विकास अधिकारी राकेश प्रसाद द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना का संकल्प पाठ अधिकारियों/कर्मचारियों को कराया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/दीपेन्द्र
/बृजनंदन