गौना कराने ससुराल पहुंचे काशीपुराधिपति का 'रंगभरी ठंडई' से स्वागत, गुलाबजल की फुहार उड़ाई
—मथुरा जेल के कैदियों और अयोध्या से कर्मकांडी परिवार राम भक्त मंडली का भेजा गुलाल पहुंचा महंत आवास
वाराणसी,19 मार्च (हि.स.)। रंगभरी एकादशी की पूर्व संध्या पर मंगलवार को गौरा की बारात लेकर टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास (गौरा सदनिका) प्रतीक रूप से पहुंचे काशीपुराधिपति और बारातियों का भव्य स्वागत किया गया। महंत आवास पर बारातियों का स्वागत रंगभरी ठंडई पिला कर किया गया। दूल्हा बने बाबा विश्वनाथ पर ठंडई और गुलाबजल की फुहार उड़ाई गई। इसके बाद फल, मेवा और बाबा के लिए खासतौर पर तैयार की गई ‘रंगभरी ठंडई’ का भोग लगाया गया। बारात के साथ ही अयोध्या के पारंपरिक रामायणी परिवार के प्रतिनिधि पं. अनिल तिवारी ने रंगभरी एकादशी की तिथि पर शिव और गौरा की पालकी पर उड़ाने के लिए अबीर भेंट की। साथ ही मथुरा के जेल में कैदियों द्वारा तैयार की गई खास हर्बल अबीर भी काशी पहुंची।
आवास पर बाबा विश्वनाथ के आगमन पर अनुष्ठान का विधान पं.सुनील त्रिपाठी के अचार्यत्व में किया गया। बाबा की ससुराल (गौरा सदनिका) में स्वागत श्री संकठा मंदिर के मंहत पं.अतुल शर्मा व रजनी शर्मा ने किया। वैदिक बटुकों ने मंत्रोचार के साथ बाबा का अभिषेक करने के बाद वैदिक सूक्तों का घनपाठ किया।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ कुलपति तिवारी के सानिध्य में संजीवरत्न मिश्र ने अनुष्ठान किया। बाबा विश्वनाथ एवं माता पार्वती की गोद में प्रथम पूज्य गणेश की प्रतिमा को एक साथ सिंहासन पर विराजमान कराया गया। पूजन-आरती कर भोग लगाया गया। पहले डमरुओं की गर्जना हुई फिर महिलाओं और नगर के कलाकारों ने मंगल कामनाओं से परिपूर्ण पारंपरिक गीत, लोकनृत्य, संगीत से ससुराल पहुचे काशी पुराधिपति का स्वागत हुआ।
बताते चलें रंगभरी एकादशी पर 20 मार्च को बाबा के पूजन का क्रम ब्रह्म मुहूर्त में मंहत आवास पर आरंभ होगा। बाबा के साथ माता गौरा की चल प्रतिमा का पंचगव्य तथा पंचामृत स्नान के बाद दुग्धाभिषेक किया जाएगा। दुग्धाभिषेक पं. वाचस्पति तिवारी और संजीवरत्न मिश्र करेंगे। सुबह पांच से साढ़े आठ बजे तक 11 वैदिक ब्रह्मणों द्वारा षोडशोपचार पूजन , फलाहार का भोग लगाकर महाआरती की जाएगी। दस बजे चल प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार एवं पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे भोग आरती के बाद के बाबा का दर्शन आम श्रद्धालुओं के खोला जाएगा। जन सामान्य के लिए दर्शन सायं साढ़े चार बजे तक खुला रहेगा।
डमरूदल के सदस्यों के लिए दोपहर दो से तीन बजे तक समय निर्धारित किया गया है। बाबा की पालकी शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से विश्वनाथ मंदिर तक निकाली जाएगी। इससे पूर्व प्रात: साढ़े दस बजे से शिवांजलि के अन्तर्गत संक्षिप्त संगीत समारोह का परंपरागत आयोजन होगा। एएम. हर्ष के संयोजन में होने वाले शिवांजलि संगीत समारोह की शुरुआत महेंद्र प्रसन्ना शहनाई की मंगलध्वनि से करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन