काशी तमिल संगमम 4.0: ‘बम–बम बोल रहा है काशी’ पर थिरके तमिल मेहमान
—नमोघाट पर मनमोहक सांस्कृतिक संध्या, काशी और तमिलनाडु के कलाकारों ने बांधा समा
वाराणसी, 06 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे 'काशी तमिल संगमम' के चौथे संस्करण में काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में शनिवार की शाम नमोघाट पर सुर की गंगा बही। सांस्कृतिक संध्या में काशी और तमिलनाडु के कलाकारों ने ऐसी प्रस्तुतियां दीं कि घाट पर मौजूद दर्शक देर तक झूमते रहे।
वाराणसी की परंपरा और तमिल संस्कृति के संगम से सजी यह शाम मेहमानों के लिए यादगार बन गई। कार्यक्रम की शुरुआत वाराणसी के बिरहा गायक विष्णु यादव और उनके दल की ऊर्जा से भरपूर प्रस्तुति ‘बम–बम बोल रहा है काशी’ से हुई, जिसने माहौल में शिवभक्ति का रंग घोल दिया। दूसरी प्रस्तुति में वाराणसी के शुभम त्रिपाठी एवं उनके दल ने गणेश वंदना ‘गौरी के पुत्र’ से सुरों का श्रीगणेश किया। इसके बाद ‘जिसमें भी अभिमान रहेगा’ और ‘जय भोले जय भोले शंकर’ जैसे गीतों ने श्रद्धा और उत्साह का संगम रचा। तीसरी प्रस्तुति में तमिलनाडु के रविचंद्रन एवं दल ने पारंपरिक कोलट्टम लोकनृत्य प्रस्तुत किया। तालबद्ध कदमों और जीवंत मुद्राओं ने तमिल दर्शकों को अपनेपन का अहसास कराया, वहीं काशीवासियों ने भी इस अनोखे नृत्य का खूब आनंद लिया। चौथी प्रस्तुति वाराणसी की रंजना उपाध्याय और उनकी टीम की रही, जिन्होंने कथक नृत्य की विविध छटाएं पेश कीं। राम भजन से आरंभ हुई प्रस्तुति में तीन ताल का मनोहारी प्रदर्शन और ‘मुरली मनोहर’ पर आधारित भावनृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में तराना से प्रस्तुति का सधे अंदाज़ में समापन हुआ। कथक दल में सूची कौशल, प्रतिष्ठा काकोटी, मैत्री जोशी, शिवम शर्मा, प्रज्ञा मिश्रा, रिया कुमारी और जयंती गुप्ता शामिल रहीं।
पांचवीं प्रस्तुति में फिर से रविचंद्रन एवं उनके दल ने तमिलनाडु के लोकप्रिय कुंभी लोकनृत्य से मंच पर जोश भर दिया। कार्यक्रम का संचालन सुजीत कुमार चौबे ने किया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज और दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तंजावूर, संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित यह श्रृंखला काशी तमिल संगमम के समापन तक चलती रहेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी