'काशी शब्दोत्सव' की शुरूआत 15 फरवरी से , उद्घाटन सत्र में शामिल होंगे केन्द्रीय मंत्री महेन्द्र पांडेय
—चार दिवसीय कार्यक्रम 09 सत्रों में चलेगा,विकसित भारत :विश्वगुरू भारत पर परिचर्चा
वाराणसी,12 फरवरी (हि.स.)। कला, साहित्य एवं संस्कृति के सांवादिक महोत्सव 'काशी शब्दोत्सव' के दूसरे संस्करण की शुरूआत 15 फरवरी से होगी। काशी में भारत की कला,साहित्य और संस्कृति को केन्द्र में रख कर चार दिवसीय 'शब्दोत्सव' का आयोजन इस बार चार अलग—अलग शैक्षणिक संस्थानों में होगा। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य भवन में शब्दोत्सव का उद्घाटन अपरान्ह एक बजे केन्द्रीय मंत्री डॉ महेन्द्रनाथ पांडेय करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो.नागेन्द्र पांडेय करेंगे।
पहले दिन उद्घाटन सत्र में विकसित भारत :विश्वगुरू भारत और तकनीकी सत्र में भारतीय ज्ञान दृषि विषय पर परिचर्चा होगी। सोमवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पंडित मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान में आयोजित पत्रकार वार्ता में चार दिवसीय कार्यक्रम के संयोजक डॉ हरेन्द्र राय, प्रो.ओमप्रकाश सिंह, डॉ ज्ञानप्रकाश मिश्र और प्रो.शैलेष मिश्र ने संयुक्त रूप से ये जानकारी दी।
प्रो. ओपी सिंह ने बताया कि दूसरे दिन 16 फरवरी को शब्दोत्सव का आयोजन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ सभागार में होगा। रामराज्य:विकसित भारत विषय पर परिचर्चा होगी। अयोध्या के हनुमत निवास के महंत डॉ मिथिलेश नंदिनी शरण भी इस परिचर्चा में शामिल होंगे। तीसरे दिन 17 फरवरी को कार्यक्रम का आयोजन सारनाथ स्थित केन्द्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान में होगा। यहां लोकानुकम्पाय:विकसित भारत विषय पर चर्चा होगी। चौथे और अन्तिम दिन 18 फरवरी को पूर्वांह 11 बजे से बीएचयू के वैदिक विज्ञान केन्द्र में कार्यक्रम का आयोजन होगा।
समापन कार्यक्रम के पहले सत्र में युवा भारत :विज्ञान और विकास पर चर्चा होगी। दूसरे सत्र में भारत की गौरवशाली परम्परा :साहित्य और संस्कृति पर परिचर्चा होगी। डॉ ज्ञानप्रकाश मिश्र ने बताया कि चार दिन में कुल नौ सत्रों का आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम में कर्नाटक उडुपी की रश्मि सामंत ,बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे,भौतिक विद प्रो.अभय सिंह,प्रो.सदाशिव द्विवेदी,प्रो.वशिष्ठ अनूप, संगीताचार्य पद्मश्री डा. राजेश्वर आचार्य आदि भी भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि आज भारत अपनी समृद्ध और गौरवशाली विरासत के प्रति अधिक जागरूक और संवेदनशील है। इस नई उर्जित भावना के साथ भविष्य के भारत के लिए एक संकल्प भी इस कार्यक्रम के जरिए लिया है। इसका सूत्र है विकसित भारत:विश्वगुरू भारत। इसी सूत्र वाक्य पर चार दिन विमर्श होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन