उर्दू भाषा ने भरा आजादी के दीवानाें में जाेश
-जंगे आजादी में उर्दू भाषा का योगदान विषय पर गोष्ठी का आयोजन
हरदोई, 14 अगस्त (हि.स.)।देश की आज़ादी में उर्दू भाषा ने अहम भूमिका निभाई। उर्दू भाषा के इंकलाब ज़िंदाबाद का नारा लोगों में जोश भरने का स्रोत साबित हुआ। यह बात आज अंजुमन तरक्की उर्दू हिन्द की यूनिट सण्डीला के तत्वावधान में मोहल्ला पुरानी तहसील स्थित उर्दू घर में जंगे आजादी में उर्दू भाषा का योगदान विषय पर आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सभासद व शायर ग़ुलाम हुसैन सुहैल संदीलवी ने कही। उन्होंने कहा कि राम प्रसाद बिस्मिल की उर्दू शायरी सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है आज भी लोगों की जुबान पर है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता मुख्यअतिथि अभिषेक दीक्षित ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय धार्मिक एकता, भाईचारा, स्वतंत्रता और देशभक्ति की ऐसी झंकार उर्दू शायरी में सुनाई पड़ती है।जिसने इंकलाब की समां भारतीयों के दिलों में जलाये रखी थी।अंजुमन के अध्यक्ष शायर शमीम अहमद खां ने कहा कि उर्दू साहित्य ने लोगों को वह सलीका दिया, जिससे सोए हुए और निराश लोगों में उम्मीद की समां रोशन हुई। अंजुमन के महासचिव उर्दू लेखक मुईज़ साग़री ने कहा कि जिस समय हिंदुस्तान पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था, उस समय हिंदुस्तान में अधिकतर लोग उर्दू भाषा बोलते और पढ़ते व लिखते थे।उस दौर के उर्दू अखबारों,लेखकों व शायरों ने उर्दू भाषा में शायरी व लेख आदि के माध्यम से लोगों को आजादी के प्रति जागरूक किया था।
कार्यक्रम का संचालन अंजुमन के महासचिव मुईज साग़री ने किया। कार्यक्रम में डॉक्टर ज़ुबैर सिद्दीकी ने आज़ादी का तराना पढ़ा और चौधरी नदीम, आरिफ गाजी, तौहीद अहमद आदि ने अपने विचार रखे।
हिन्दुस्थान समाचार / अंबरीश कुमार सक्सेना / Siyaram Pandey