देवर्षि नारद का जीवन लोकमंगल व समाज कल्याण के लिए आदर्श : सुभाष

 




स्वाधीनता के लिए लेखनी के वीर पत्रकारों ने समाज का जागरण किया

विश्व के कल्याण के लिए होनी चाहिए पत्रकारिता : सुभाष

लखनऊ, 23 मई (हि.स.)। देवर्षि नारद लोक कल्याण के देवता हैं। देवर्षि नारद भगवान के मन हैं और संचारक हैं। नारद केवल संचारक ही नहीं उद्धारक भी हैं। नारद जी चरवैति-चरवैति के द्योतक हैं। उनका जीवन लोकमंगल व समाज कल्याण के लिए आदर्श है। देवर्षि नारद जब महर्षि वाल्मीकि से संवाद करते हैं तो रामायण की रचना होती है और महर्षि वेदव्यास से संवाद होता है तो उन्हें भागवत लिखने की प्रेरणा देते हैं।

देवर्षि नारद के मन में जिज्ञासा थी। वे समाज में हो रहे हर परिवर्तन के बारे में जानने को आतुर रहते थे। यही आतुरता, यही जिज्ञासा ही उन्हें पत्रकार बनाती है। एक पत्रकार के मन में भी जिज्ञासा का होना बहुत जरूरी है। उसे निरंतर प्रश्न करना आना चाहिये। जो जानना चाहता है वह सब कुछ जान लेता है।

उक्त बातें मुख्य वक्ता एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष ने कही। वह विश्व संवाद केन्द्र लखनऊ की ओर से देवर्षि नारद जयंती की पूर्व संध्या पर लखनऊ विश्वविद्यालय के एपी सेन सभागार में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए गुरुवार को कही।

असत्यता को दूर करते हुए सत्यता की स्थापना करना ही पत्रकारिता

उन्होंने कहा कि नारदजी समाज के कल्याण के लिये प्रश्न पूछा करते थे। वे आदर्श, धर्म, सत्य की खोज करने वाले जिज्ञासु हैं। इस विधा में देवर्षि नारद सबसे अनुकूल हैं। नारद जी जन-जन को सत्यता का आचरण स्वीकारने, निष्ठा के साथ संदेश देने और सत्यता की खोज करने वाले महर्षि हैं।

उन्होंने अपनी बात को विस्तार देते हुए आगे कहा कि वर्तमान में असत्यता को दूर करते हुए सत्यता की स्थापना करना ही पत्रकारिता है। उन्होंने कहाकि मानवता के उत्थान व विश्व के कल्याण के लिए पत्रकारिता होनी चाहिए। पत्रकारिता के माध्यम से जनकल्याण की सूचनाओं को सामने लाना ही आदर्श पत्रकारिता है। सत्य की आराधना करने से जन कल्याण संभव हैं। भारत के लिए सत्य के लिए जाना है, इसलिए हमारे यहां कहा गया है 'सत्यमेव जयते'।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में पत्रकारिता का बड़ा योगदान है। भारत की स्वाधीनता के लिए लेखनी के वीर पत्रकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को जगाने का काम किया। जब देश में आपातकाल थोपा गया तब पत्रकारों ने सत्याग्रही बनकर अपनी लेखनी से समाज का जागरण किया, जिससे भारत में लोकतंत्र की स्थापना हुई।

मुख्य वक्ता सुभाष ने कहा कि हम सत्य के आग्रही हैं। संचार के क्षेत्र में सत्य निकलकर समाज के सामने जाना चाहिए। रही बात पत्रकारिता में निष्पक्षता की तो जब तक चिंतन चरित्र में नहीं आयेगा तब तक निष्पक्षता नहीं आयेगी।

आरएसएस के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष जी ने कहा कि पत्रकारिता में वर्तमान समय में पूर्णता की आवश्यकता है। इस पूर्णता के लिये सत्यता के साथ खोजबीन करते हुए समाचार को प्रस्तुत करने की जरूरत है। इसी से संतुलन आ सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष नरेन्द्र भदौरिया ने की। विश्व संवाद केन्द्र के सचिव अशोक सिन्हा ने आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. सौरभ मालवीय ने किया।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रान्त प्रमुख डॉ. शचीन्द्र, डॉ. लोकनाथ, प्रांत सह संपर्क प्रमुख डॉक्टर हरनाम सिंह, प्रांत धर्म जागरण प्रमुख सुरेंद्र, प्रान्त कार्यकारिणी के सदस्य प्रशान्त भाटिया, विभाग प्रचार प्रमुख दुश्यंत आदि के अलावा विभिन्न संस्थाओं के पत्रकार और विभिन्न संस्थाओं के पत्रकारिता के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश